Thursday, 31 January 2019

स, श, ष important matter


सीता, शीतागार, कलूषि
These tree word giving us brief knowledge about three alphabets as well as life's hard Truth, which may be unbelievable but on this age my self force to believe such true points... what ever educated people not believe.
Sita means as per matruka...
The things which are in future, know someone by spiritual but how it is happening, that we don't know but we can make it for try to do better by positively karma for better position, but need hotness...
Shitagaar means as per matruka...
Shit mean cold and aagaar mean place...
Fridging things ... What ever food need to store better you need cold area or place...then agni or fire may be giving proper address...
Clueshit means as per matruka...
Bad things or the things may be harmful for food kind but if you getting a chance, by agni or fire or else way, maybe you can get better needed components for body ... which we can say medicine too....
Well sanskrut has the important definition about the MATRUKA, means you can use special related alphabets for specific meaning. Lord krushna learned at  sandipany rushi's aashram...
Few description denied to write... but we need to maintain our karma's spectrum very minorly clear or clean...

All matter related with 54 square meter
Jigar Mehta / Jaigishya

माँ

Still confused.
"SPOT", how could be done?
If done
How could be arranged perfact half circle?
If both done
How could be fixed on Sanskrit alphabets "मा"
Which other meaning as per matruka are negative means NO.
But when using full substance with all parameters,
Happened MOTHER!

Jigar Mehta  / 
Jaigishya

Saturday, 19 January 2019

Sanskrut alphabets and energy

Specific need discussion on such Sanskrit Stotra as well as shloks, mantras.
Particularly I personally observed that on search and research for specific word or mantras component speaking making with strokes gives you sure benefit after speaking.
you can get benefits and that is pertaining with the alphabets words that's mixture the  and then when you speaking that word or shlokas or mantraa in proper Raga or proper way the fix kind of energy come out from your mouth in laya.
it is a cold or hot in as according the way and that is definitely helpful to you and even your nearest person who is listening that thing because every alphabet has sure energy.

Science is not picking up with this kind of measurement but in Vedas and Purana, I know particular one thing or story that in Mahabharata when Bharat Raja was sick at the same moment Vyas Ved Vyas speaking such kind of Atharvaveda mantra and that according Raja Bharat getting his health better. Another story Russia devil care made Green Tree from the rough and dry fruit buy mantras only.

The mantra has powerful meaning not only powerful meaning but it has such sure energy science need to focus on that thing also.

here briefing of such words in Hindi taken from Google Plus from Mr Sanjay Gupta portal reference....

मंत्र का आशय ध्वनि से होता है। आजकल आधुनिक विज्ञान इस पूरी सृष्टि को एक कंपन मानता है। अब जहां कही भी कंपन होगा, वहां ध्वनि तो होगी ही। इसका मतलब है कि यह संपूर्ण सृष्टि एक प्रकार की ध्वनि या कई ध्वनियों का एक जटिल मिश्रण है। यह भी कह सकते हैं कि संपूर्ण सृष्टि विभिन्न प्रकार के मंत्रों का मेल है। इन में से कुछ मंत्रों या ध्वनियों की पहचान हो चुकी है, जो अपने आप में चाभी की तरह हैं। अगर हम उनका एक खास तरह से इस्तेमाल करें तो वे जीवन के अलग आयाम को खोलने में सक्षम हैं, जिनका अनुभव हम अपने भीतर कर सकते हैं।

मंत्र कई तरह के होते है। हर मंत्र शरीर के किसी निश्चित हिस्से में एक खास तरह की उर्जा जागृत करता है। बिना जागरुकता के किसी आवाज को केवल बार-बार दुहराने से दिमाग में सुस्ती छा जाती है। किसी भी ध्वनि के लगातार उच्चारण से मन सुस्त हो जाता है। जब आप पूरी जागरुकता के साथ उसकी सही समझ के साथ मंत्रोच्चारण करते हैं तो वह एक शक्तिशाली साधन बन सकता है। एक विज्ञान के रूप में, यह एक शक्तिशाली आयाम है। लेकिन आज जिस तरह से बिना किसी आधार या बिना आवश्यक तैयारी के लोगों को मंत्र दिए जा रहे हैं इससे बहुत नुकसान हो सकता है।

Monday, 14 January 2019

Sakha mean friend

I personally appreciate Sakha bhav.
Sakha means Maitri friends
Sakha Bhav means friendship nature
Sakha is a Sanskrit word
socially you can't tell give or any kind of else thing to your elder person.
But by sakha bhav you can make miracle by better condition or approachable things to society's progress.
Bhagavad Gita main maintained 40 name of Krishna and 20 name of Arjun....
Krishna's
Sakha Arjun
Sakhi Draupadi

Jigar Mehta / Jaigishya

Friday, 11 January 2019

Shaaklayan

This is a good understanding matter about present computer science and human body's medical records and science...Veda's this branch duly named SHAaKLAYAN has the important massage about code and Decode of different things which helping humans...

India needs high frequency transmission unit for better coordinating between internal setelite due to other countries capacity of messed up sky stellite, we can develop inner stronger communication...As well the software program language by maintain strong wall, avoiding viruses ....

Ghunghat of a lady open by only two people

One is husband 

Second is by immature son or daughter....

ISRO need this message nowadays....


Jigar Mehta / Jaigishya

Wednesday, 9 January 2019

शल्य

शल्यक्रिया से सम्बन्धित अन्य प्रसंग है- दधीचि के सिर को हटाकर उसकी जगह घोड़े के सिर का प्रत्यारोपण और फिर उसे हटाकर असली सिर लगा देना, ऋज्राष्वड की अंधी आँखों में रोशनी प्रदान करना, यज्ञ के कटे सिर को पुनः सन्धान करना, श्राव का कुष्ठ रोग दूर कर उसे दीर्धायु प्रदान करना, कक्षीवान्‌ को पुनः युवक बनाना, वृद्ध च्यवन को पुनः यौवन देना, वामदेव को माता के गर्भ से निकालना आदि।


 उन्नत आधुनिक काल

शास्त्रीय प्रमाणों से शल्यचिकित्सा का मूल स्रोत वेदों में मिलता है, जहाँ इंद्रअग्नि और सोम देवता के बाद स्वर्ग के दो वैद्यों अश्विनीकुमारों की गणना की गई है। इनके कायचिकित्सा एवं शल्यचिकित्सा संबंधी दोनों प्रकार के कार्य मिलते हैं। शरीर की व्याधियों को दूर करने के लिए तथा अंगभंग की स्थिति में नवीन आंखें एवं नवीन अंग प्रदान करने के लिए अश्विनीकुमारों की प्रार्थना की गई है। गर्भाशय को चीरकर गर्भ को बाहर निकालने तथा मूत्रवाहिनी, मूत्राशय एवं वृक्कों में यदि मूत्र रुका हो, तो उसे वहाँ से शल्य कर्म या अन्य प्रकार से बाहर निकालने का उल्लेख मिलता है। इसी प्रकार अथर्ववेद में क्षत, विद्रधि, व्रण, टूटी या कटी अस्थियों को जोड़ने, कटे हुए अंग को ठीक करने, पृथक् हुए मांस मज्जा को स्वस्थ करनेवाली ओषधि से प्रार्थना की गई है। रक्तस्राव के लिए पट्टी बाँधने, अपची (गले की ग्रंथि का एक रोग) के लिए वेधन छेदन आदि उपचारों का उल्लेख मिलता है। भगवान बुद्ध के काल में जीवक नामक चिकित्सक द्वारा करोटि एवं उदरगत बड़े शल्यकर्म सफलतापूर्वक किए जाने का वर्णन है।

शल्यक्रिया से सम्बन्धित अन्य प्रसंग है- दधीचि के सिर को हटाकर उसकी जगह घोड़े के सिर का प्रत्यारोपण और फिर उसे हटाकर असली सिर लगा देना, ऋज्राष्वड की अंधी आँखों में रोशनी प्रदान करना, यज्ञ के कटे सिर को पुनः सन्धान करना, श्राव का कुष्ठ रोग दूर कर उसे दीर्धायु प्रदान करना, कक्षीवान्‌ को पुनः युवक बनाना, वृद्ध च्यवन को पुनः यौवन देना, वामदेव को माता के गर्भ से निकालना आदि।

सुसंगठित एवं शास्त्रीय रूप से आयुर्वेदीय शल्यचिकित्सा की नींव इंद्र के शिष्य धन्वंतरि ने डाली। धन्वंतरि के शिष्य सुश्रुत ने इस शास्त्र को सर्वांगोपांग विकसित कर व्यवहारोपयोगी स्वरूप दिया। उस समय भी शल्य का क्षेत्र सामान्य कायिक शल्यचिकित्सा था और ऊर्ध्वजत्रुगत रोगों एवं शल्यकर्म (अर्थात् नेत्ररोग, नासा, कंठ, कर्ण आदि के रोग एव तत्संबंधी शल्यकर्म) का विचार अष्टांगायुर्वेद के शालाक्य नामक शाखा में पृथक् रूप से किया जाता था।

इसी प्रकार पश्चिम में असीरियाबेबिलोनिया एवं मिस्र के बाद यूनान और रोम में सभ्यता एवं अन्य ज्ञान विज्ञान के साथ चिकित्साविज्ञान तथा तदंतर्गत शल्यचिकित्सा का विकास हुआ। ई. पू. 301 में मिस्र देश में शल्यतंत्र उन्नत अवस्था में था। मिस्र देश में भूगर्भ से मिले शवों के शरीर में कपालभेद के संधान के चिह्र मिलते हैं। प्रारंभ में रोम नगर के सभी चिकित्सक सिकंदिरिया या उसके पूर्व के निवासी थे। केलसस का "डी मेडिसिना", जो ईसवी सन् 29 में प्रसिद्ध हुआ, पूर्णतया ग्रीक प्रणाली का था। उक्त महाग्रंथ आठ खंडों में है। सातवें खंड में शल्यशास्त्र और छठे खंड के छठे अध्याय में और सातवें खंड के सातवें अध्याय में नेत्ररोगों का विवेचन है। इस महाग्रंथ में वर्णित अर्म (अग्रीस रोमन टेरिजियम्) पोथकी तथा मोतियाबिंद (cataract) की शल्यचिकित्सा बहुत कुछ सुश्रुत से मिलती जुलती है।

जालीनूस ने जो एक प्रकार से यूनानी परंपरा का अंतिम विद्वान् चिकित्सक था, अनेक बड़े बड़े ग्रंथ चिकित्सा शास्त्र पर लिखे। उसके ग्रंथ सारे ग्रीक वैद्यक के विश्वकोश हैं। पश्चिमी काल के पूर्ववर्ती युग (700 ई से 1,200 ई.) में अरबों ने चिकित्सा विज्ञान का दीपक प्रज्वलित किया और शल्यचिकित्सा में भी प्रशंसनीय उन्नति की, जिसका प्रभाव स्पेन तक था। इसी ज्ञान को आधार मानकर आधुनिक शल्यचिकित्सा आज पराकाष्ठा पर पहुँच रही है। अबुल कासिम जहरावी का प्रसिद्ध ग्रंथ, अत्तसरीफ, यूरोप में शल्यतंत्र की उन्नति की आधारभूत नींव है। आधुनिक शल्यचिकित्सा की अद्भुत उन्नति की प्रधान कारण उत्तम चेतनाहर एवं संवेदनाहर ओषधियों (anaesthetics) तथा विश्वसनीय रक्तस्तंभक द्रव्य (haemostatics), पूतिरोधी एवं प्रतिजैविक पदार्थ की सुलभता है, जिनकी सुविधा विक्त युगों में प्राय: नहीं सी थी। अतएव विचारकों के लिए यह एक नितांत जिज्ञासापूर्ण विषय बना रहा कि इन साधनों के अभाव में प्राचीन लोग गंभीर स्वरूप के शल्यकर्म (operation) कैसे करते थे।

 .... शल्य कर्ता

[सं-पु.] - वह जो शल्य-चिकित्सा का जानकार हो; (सर्जन); शल्यकार। 

शल्य कर्म मतलब
[सं-पु.] - 1. शल्य चिकित्सा 2. चीर-फाड़ का कार्य; (ऑपरेशन)। 

शल्य क्रिया मतलब
[सं-स्त्री.] - शारीरिक विकार, रोग या परेशानियों को दूर करने के लिए की जाने वाली चीर-फाड़; (सर्जरी)। 

शल्य चिकित्सक मतलब
[सं-पु.] - शरीर की चीर-फाड़ करने वाला चिकित्सक; (सर्जन)। 

शल्य चिकित्सा मतलब
[सं-स्त्री.] - चिकित्सा का एक प्रकार जिसमें शरीर के रुग्ण भाग को चीरकर ठीक किया जाता है; (ऑपरेशन)। 

शल्यक मतलब
[सं-पु.] - 1. साही नामक जीव 2. एक प्रकार का शस्त्र; भाला; बरछा 3. काँटा; शूल 4. बेल का वृक्ष या फल 5. एक प्रकार की मछली 6. मदन या खैर वृक्ष 7. लोध नामक वृक्ष। [वि.] 1. शल्य से संबंधित; (सर्जिकल) 2. शल्य चिकित्सा से संबंध रखने वाला 3. शल्य क्रिया करने वाला। 

शल्यकर्मी मतलब
[सं-पु.] - 1. शल्य कर्म करने वाला 2. शल्य चिकित्सक।

Tuesday, 8 January 2019

Bite of food

My style is little different,
Eating Gujarati round rotee in three part like,
Half circle then
Rectangle then
Half circle,
All bite are with little curve from border as rotee is round,
Sometimes eating in two half circle,
Sometimes if small, eating whole rotee full in mouth...
Even bhakhree and rotla also eating style is different and that is a big learning required for understand people mind too...
Though square box round pizza cut in triangle, important is how you eating...
Pizza eating by us direct from mouth without cut by hands but mostly Indian for  bite started for quality and shaps checking by hands...
If your hands are clean, no problems will arise in life, whatever food you have...

Jigar Mehta / Jaigishya

Ghoomar

Rajasthan's folk dance name has special important in related with Gujarat's garbage or vedic alaat chakra or garbh deep dance,...
Saving energy on such way by dancing surrounding and making body balance with curve image while dancing in circle without changing place is important for getting energy from wind that's called as Ghoomar.....

Jigar Mehta/Jaigishya

Friday, 4 January 2019

प्रकाश संश्लेषण

प्रकाश संश्लेषण मतलब (photosynthesis)
सूर्यप्रकाश की मौजूदगी मे वृक्षका कार्बन डाइऑक्साइड ग्रहण करके ऑक्सीजन देना,  यह प्रक्रिया ज़मीन में पानी के सिंचन से मूल के कारण होती है। जिस द्वारान हरितद्रव्य(chloroplast) बनता है, ओर वृक्ष के पान लीले हरे रंग के दिखाई देता है। प्रकाश सँश्लेशन दिन में ही होता है।

Jigar Mehta / Jaigishya

"ष" संश्लेषण sanshleshhan

Uchchaishrava, bhurishrava
Pururava, Uvach,
Prachodayat....

Few sanskrut name
श्लेष पुरूष
श्लेषा स्त्री
आश्लेषा स्त्री
आश्लेष पुरूष
शैल
शैलेष
संश्लेषण
शेष
अशेष
अवशेष

These all belongs to the Sanskrit word
ष shha
and here giving name is helping to  understand the meaning of pronunciation of said Sanskrit alphabet ...

संश्लेषण मतलब
एक रासायनिक क्रिया,
जिसमें सरल संरचना वाले पदार्थों का संयोग कराकर 
अधिक जटिल संरचना वाले यौगिक का निर्माण किया जाता है । 

When children born at that moment maybe on their body no kind of such elements of spot or kind of things available which we can say symbol of body but on such condition or in such condition there are definitely some few spots available in children's body whatever they are born or to be born in condition and even after more after born after so many years auspicious and suspiciously few spots automatically generated by nature and that is base Mod of sansleshan.
Basically sansleshan is comes from Sanskrit language and most of trees or plants making Prakash sansleshan I don't know what we can say in English but that is specific name in Sanskrit even Hindi and even Gujarati same is Prakash sanshleshan from that way they are making Harit dravya from we can see the green plants or grass or trees main basic function from the tree getting its green colour it's manes Harit dravya.

God made changes in my daughter, wife and even in my self too, by making different spots on different body parts.

Jigar Mehta / Jaigishya