Sunday 16 December 2018

शनै: शनै: (होले होले / धीरे धीरे)

शनै: शनै:
धीरे धीरे

शनि की वक्र दृष्टि तभी अच्छी हे,
जब यम और यमी भिन्न हो।
भेद अंतर तभी सूर्य को केन्द्र से खबर रहे।
शनि तो उद्यमी पिता का वक्र दृष्टि वाला पुत्र हे जो हमेशा पिता के कचरा के प्रबंधन में रहा है।
कचरे के सात्विक तत्वार्थ के अर्क के औचित्य संभालने की लगन में मग्न हे।
सूर्य, सवर्णा, यम, यमी एक साथ,
शनि अकेला फिरभी उसे  तो संस्कार वर्धित मूल्य का अधिगृणन कराना हे।
सूर्य शनि की युति अलग निदान कराती है।
वेद सूक्त मे सिर्फ यम यमी की बात सर्वोत्तम?
शनि का नामोलेख नही।
साडा साती की अगत्य अष्ट प्रकृति पाने से पहले या धारण करते पहले है ही है।
सूर्य, सवर्णा, यम, यमी सब तेजोमय ऊर्जा वाले जाने के बाद स्थानीय गमन वृत्ति की परिसीमा शनि तय करता है।
वक्रद्रष्टय शनि केलवणी से पर हे।
ओजस के बाद काली मेष, आपके संस्कार की छोटी चिंगारी की धूपसली, जो आपके नेतृत्व मे है, वह आपको ही नहीं पर समग्र समाज को आने वाली विपद से बचाती हे।
हाथ का स्पर्श भले अलग हो पर साणसि से पकड़ी हुई मौजूद स्टील तपेली सतत वहनीय ऊर्जा का साभान कराती हे।
तपेली भले चूले से उतरे पर
सहज साँज़ा चुला प्रदीप्त रहे।

Jigar Mehta / Jaigishya

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