लोन माफी छोटे किसान की जरुरत।
जमींदार के पास कमी नही होती।
जिसका खेत , उसीकी बगैर मजदूर खेती, उसी को लोन माफी मुनासिब।
भारत को लोग पढ़ा लिखा देश समझते हे तो जुठ की बुनियाद पे वोट देना और मांगना बंद होना ही चाहिए।
अँधेरे मे खाना कभी कभी अच्छा, लेकिन देश दिन में चले वही अच्छा।
जिसका खेत , उसीकी बगैर मजदूर खेती, उसी को लोन माफी मुनासिब।
भारत को लोग पढ़ा लिखा देश समझते हे तो जुठ की बुनियाद पे वोट देना और मांगना बंद होना ही चाहिए।
अँधेरे मे खाना कभी कभी अच्छा, लेकिन देश दिन में चले वही अच्छा।
खेत या कृषि पेदाश मे लॉन्ग टर्म मुनाफा तभी होगा जब केंद्र और राज्य सरकार एक चित्त सोचेगी वर्ना विपक्ष का CM लोन मांगता रहेगा और रूलिंग PM देश उन्नति की बात करेगा। हुआ है
थोड़ी गहरी सांसो से कई बार अच्छा लगता है।
सोचो गहरी सोच से होने वाला कार्य कितना मुनाफा दे सकता है।
थोड़ी गहरी सांसो से कई बार अच्छा लगता है।
सोचो गहरी सोच से होने वाला कार्य कितना मुनाफा दे सकता है।
जन्म दिन और मृत्यु दिन भले किसी बड़े व्यक्ति के हो पर अब्दुल कलाम जी को सदर नमन जिन्होंने कहा है अगर अच्छा लगाना चाहते हो तो कम करो।
विचार और आचरण संदिग्ध परिस्थितियों में अलग न हो तो शक्तिमान असाधारण रूप से परिपक्वता हासिल कर सकते है।
मगर व्याप्त रूप से मगज के विचार सराहना कभी काबिले तारीफ हो सकता है लेकिन ज़िंदा रहना चाहिए, वही मौजूद जरूरत है।
कूछ भी करो, सांसे चालू रखो।
शारीरिक कचरा अपने आप मिलेगा।
मगर व्याप्त रूप से मगज के विचार सराहना कभी काबिले तारीफ हो सकता है लेकिन ज़िंदा रहना चाहिए, वही मौजूद जरूरत है।
कूछ भी करो, सांसे चालू रखो।
शारीरिक कचरा अपने आप मिलेगा।
संजय और धृतराष्ट्र...
अग़र शब्द समजो तो गीता की जरुरत कृष्ण अर्जुन के विभिन्न नामो के साथ नहीं रहेगी।
अग़र शब्द समजो तो गीता की जरुरत कृष्ण अर्जुन के विभिन्न नामो के साथ नहीं रहेगी।
कुछ बड़ी बात है ...
महत्तम चैतन्य ऊर्जा पूल के दोनो ओर ,
आनंद ही आनंद, शर्दी के साथ मुह भी खुल्ला, स्त्राव की गतिभी बहोत थी, बदबूदार खुशबु गायब थी।
महत्तम चैतन्य ऊर्जा पूल के दोनो ओर ,
आनंद ही आनंद, शर्दी के साथ मुह भी खुल्ला, स्त्राव की गतिभी बहोत थी, बदबूदार खुशबु गायब थी।
Jigar Mehta/Jaigishya
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