Tuesday 12 January 2021

ऋत ओर ब्रह्म

कई अफवाह है ऋत ओर ब्रह्म की।


कई अफवाह है ऋत ओर ब्रह्म की। ऋत यानी season ओर ब्रह्म यानी सत: वाला सत्य।

खंडनकरने की चाहत बीवी की पैसोंकी छटपटाहट से अनुषांगिक तोर पर महसूस की तो गुस्सा लिख के व्यक्त किया।

हम ऋत्विज शब्द से वाकिफ है पर ब्रह्मविज शब्द नही संशोधन में ऐसे क्यों?

सवाल मार्मिकतोर पर भेदी है।

ऋ + त + ई + व + ज

ऋ यानी उर्जा का सचेत स्वरूप तल प्रकाश
त यानी पृथ्वी तल या क्षेत्रमे दिखने वाला
ई यानी इच्छा
व यानी आवर्त या आवरण वाला या ढंका हुआ
ज यानी उसका वजूद हैही कि बात में वजन से कहना

ऋत्विजको कहि कहि ब्राह्मण कहा है। पर वह बात जो जीवन मे fraction of seconds में चली गयी या चली जाती है उसके बारेमे अनुभुत हो कर भूतकाल को या व्यक्ति का भूतकाल का स्वरूप दर्शाने के लिए कहि है। इसी लिए उस शब्द में ऋ लिया जिसका अक्षर आयाम सही पर विचित्र रूप से कहीकही कुछ कुछ हल्का सा समझ मे आया है।

रु नही कहते किन्तु तृ सीधा नही पर यानी दो पूर्णाक्षर को जोड़ा है। सीधा पर trasaa त्रासा ओर उल्टा को जोड़कर लिखते हैं। ओर पढ़ते सीधा है।

"फिरभी को silent रखा जाता है।" क्यों???

यहां अंग सन्धि कैसी वह भी सोचनीय थी तभी लिखने बैठा क्योकि बीवी ओर कई पड़ोसी पुराने नये सोसायटी वाले सतत पैसोंकी बात से मुझे लपडाक कैसे भी लगाती  ओर लगाते है तो गुस्सा निकालने के लिए पढ़ाई यानी उसीके पआँच महाभूतके ढाई अक्षर प्रेमके ढूंढ के शरुआत कर दित्ता / दिया।

आँच  यानी गर्माहट, शब्द विशिष्ट है।

वृक्ष को बीज से जानकर तरु कहा है। और उसकी वेल को तरुलता कहा है। ओर मलाई दूध पर तरल है।

ब्रह्म में र आयाम बीच मे है। फिरभी ब को बोला ही जाता है। ब यानी भीतर की तरफ मुडा हुआ कुछ उत्तिष्टित चेतस रूपी तत्व। ज्ञान विषयक सम्बन्ध में।

ओर शब्द है ब्राह्मण यानी ब्रह्म अ ण यानी व्यय करने हेतुक उपलब्ध अ कार रूपी तत्व निषिद्ध रूपसे निश्चय है ही।

वायु परसे व्यय बना है। यानी खर्च यानी पहले वाले दूसरे को तीसरे रूपमे व्यय करके चतुर्थ रूपक मख्खन काले शिशु यानी गर्भ संस्करण में रहने वाले देव यानी कृष्ण को खिलाना होता है लेकिन वहभी जन्माष्टमी उत्सव पर से हरबार याद करना कि कृष्ण चोरी करके मक्खन खाता है।

यजुर्वेदमें ऐसेही कृष्ण और शुक्ल की शाखा में 86 ओर 15 के विभाग नही बने।

अभी मेरे पास reserved store है, वर्तमान का निधि व्यय मेरे खुदकी महेनत की उपार्जनसे हो ऐसे सभी उपलब्ध देवताओंको अभ्यर्थना।

इसीके कारण मैंने  अग्नि के वजन को ढूंढने की बात की हिमाकत करी। वजन में त्रसरेणु का मापन भी है ही।

http://jaigishya.blogspot.com/2020/12/weight-and-unit-of-fire-concept.html

आज विषयमे लिया रुख लिफ्ट का।
जहा केमेरे ने देखी दो भाषाए उपरसे नीचे आते समय।
एक अंग्रेजी नम्बर की दूसरी ब्रेललिपि प्रज्ञा चक्षुओंके लिए। विश्व 

 हर एक लिपि एकदूसरे में ओतप्रोत है। सिर्फ नज़रिया सही पढ़ने का होना चाहिए।


त्रसरेणु वजन मापन एकम

अभी भी कुछ बातें छुपी हुई रखी है। जैसे कि enjoy।

जय गुरुदेव दत्तात्रेय

जय हिंद

जिगर महेता / जैगीष्य


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