Tuesday 16 August 2022

सूर्य की उपासना मंत्र एवं सूर्य किरण माहिती स्त्रोत

सूर्य उपासना प्रात: स्मरण।

प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यम
रूपं हि मण्डल मृचोऽथ तनुर्यजूंषि |  
सामानि यस्य किरणा: प्रभवादि हेतुं ब्रम्हाहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम || १ ||

प्रातर्नमामी तरणिम तनुवांगमनोभि:  
ब्रम्हेन्द्रपूर्वकसुरैर्नुतमर्चितं च।  
वृष्टि-प्रमोचनविनी-गृहहेतुभूतं 
त्रैलोक्यपालनपरं त्रिगुणात्मकं च || २||

प्रातर्भजामी सवितारमनन्तशक्तिं पापौघशत्रुभयरोगहरं परं च |  
तं सर्वलोककल्नात्मककालमूर्तिं 
गोकंठबंधन विमोचनमादीदेवम || ३ ||  
  
  
  


सूर्य उपासना ध्यान मंत्र

ॐ आदित्याय नमः  
यं ब्रह्मावरुणेन्द्ररुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैः स्तवैर्वेदैः साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगाः।।  
ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनोयस्यान्तं न विदुः सुरासुरगणाः देवाय तस्मै नमः ||१||

ॐ आदित्याय नमः  
मूर्तित्वे परिकल्पितः शश भृतो वर्मापुनर्जन्मना मात्मेत्यात्म विदां क्रतुश्च यजतां भर्तामर ज्योतिषाम् |  
लोकानां प्रलयोद्भवस्थिति विभुः चानेकधायः श्रुतौवाचं नःसददात्वनेक किरणः त्रैलोक्यदीपो रविः ||२||

ॐ आदित्याय नमः  

भास्वान्काश्यपगोत्रजो रुणरुचिर्य: सिंहराशीश्वरः षट्विस्थो दश शोभनोगुरुशशी भौमेषु मित्रं सदा।  शुक्रो मन्दरिपुकलिंगजनितः चाग्नीश्वरो देवते मध्ये वर्तुलपूर्वदिग्दिनकर: कुर्यात् सदा मंगलम्।।३।।  
  



सूर्य उपासना अर्घ्य मंत्र

एहि सूर्य ! सहस्त्रांशो ! तेजोराशे ! जगत्पते |  
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणायँ नमोस्तुते ||

तापत्रयहरं दिव्यं परमानन्दलक्षणम् |  
तापत्रयविमोक्षाय तवायँ कल्प्याम्यहम् ||

नमो भगवते तुभ्यं नमस्ते जातवेदसे |  
दत्तमर्घ्य मया भानो ! त्वं गृहाण नमोस्तुते ||

अर्घ्यं गृहाण देवेश गन्धपुष्पाक्षतैः सह ।  
करुणां कुरु मे देव गृहाणायँ नमोस्तुते ||

नमोस्तु सूर्याय सहस्त्रभानवे नमोस्तु वैश्वानर- जातवेदसे |  
त्वमेव चार्घ्य प्रतिगृह्ण देव ! देवाधिदेवाय नमो नमस्ते ||  
  



सूर्य उपासना क्षमा प्रार्थना

उपसन्न्स्य दीनस्य प्रायश्चित्तकृताञ्जले: |  
शरणं च प्रपन्नस्य कुरुष्वाद्य दयां प्रभो ||

परत्र भयभीतस्य भग्नखंडव्रतस्य च |  
कुरु प्रसादं सम्पूर्णं व्रतं सम्पूर्णमस्तु में ||

यज्ञच्छीद्रम तपश्छिद्रं यच्छीद्रम पूजने मम |  
तत्सर्वमच्छीद्रमस्तु भास्करस्य प्रसादतः ||

  
  
  
रोचक विशेष बात सूर्य किरण की।

देेवी स्वाहा के अठारह नाम 1 से 18, और 19 से 26 जो नाम हैं वह सूर्य किरणों के नाम से जुड़े हुए हे।

 स्वाहा के नाम को भी सूर्य किरणों के नाम से जोड़ सकते है। यहाँ वही 26 से और भी नाम हो सकते है जो सूची में शामिल नही है।

1. स्वाहा, 
2. वह्निप्रिया, 
3. वह्निजाया, 
4. संतोषकारिणी,  
5. शक्ति, 
6. क्रिया, 
7. कालदात्री, 
8. परिपाककरी, 
9. ध्रुवा, 
10. गति, 
11. नरदाहिका, 
12. दहनक्षमा, 
13. संसारसाररूपा, 
14. घोरसंसारतारिणी, 
15. देवजीवनरूपा, 
16. देवपोषणकारिणी
17. दाहिका
18. तेजरूपा

19. उषा
20. सवर्णा
21. सवर्ण
22. सवर्णी
23. पिंगला
24. रन्ना
25. सावित्रु से सावित्री
26. रश्मि

स्त्री सम्मान की बात ही काफी नही होती। माँ को समझना चाहिए।

26 : 6-2=4 26th January 
15 : 5-1=4 15th August 

26 & 15 Both dates important for every indian, But 4th July is important to All American अतिक्रम से वापस आने में उलटे रास्ते कुछ बातें धंधे की भूलनी नही चाहिए की ग्राहक दूसरा आएगा तभी जब पहला वस्तु को अच्छा कहेगा।

भारत में यह कुछ अलग हिसाब से लिए जानी वाली बात ही की each child has if 1 and 2 means parent or any one of them, than no worries..
:

Jay Gurudev Dattatreya
Jay Hind
Jigaram JAIGISHYA Jigar
Jigar Gaurangbhai Mehta 

Every place in universe.. the biggest fire eating smaller fire.. survival truth..

Jay Gurudev Dattatreya
Jay Hind 


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