Monday, 1 July 2019

साँसो से "उ" का प्रयाण

कुछ सांसे जगतमें मिलति है,
उद्यानकी, उधारकी, उद्धारकी, उडानकी, उद्यमकी
उन्मादकी, उत्सवकी, अंग उभारकी, उत्तरकी,
पर
चमकेगी नाक सिर्फ प्राणवायु से ही।
आप को तो सिर्फ अच्छे शब्दों से ही
किसीकी हिम्मत को नजाकत से बढाना है।
यहाँ कही परभी उर्जाको छोडनेसे
"र" मन विस्तृतिकरन होता है।
यह वही जगत है जहां हर नार नर से
जहाँ एक और एक तीन हो ही जाते है।
समय के प्रभुत्वशाली पदार्पण को
कोई नही भूलता,
पर याद सिर्फ बात होती है,
नही की ऊर्जा।
जितना हो सके अच्छे सुविचार करे।
ऊर्जा तो कोई धर्म नही देखती।
धर्म से क्षेत्रक्षेत्रग्न का प्रयाण नहीं होता।
प्रयाण होता है, प्रणाम और बहेतर उद्यमी सांसो से...



Jigar Mehta / Jaigishya

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