विकलन से संकलन
...समाजमें अगर मनुष्यों में वर्गीकरण करना हो तो क्षेत्रक्षेत्रग्न में उम्र के लिहाजे को याद रखके कर सकते है। पशुपक्षी जीव जंतु में कभी भी उम्र का लिहाज़ नही होता। तभी वह एक दूसरे को काटते है।
पर मनुष्य जातिमे छोटा भी बड़ा हो सकता है जब किसीका जीव बचे। पर वह समय सत प्रकृति का विचार बड़ा होता है।
जहाँ तक जवाबदारी की बात है, बड़ा मनुष्य यदि शारीरिक वजन में ना रहे, पर किसी छोटे का ध्यान बैठे बिठाये रख सके, और निर्णय सुनाये, पर आज समाज निर्माण में उसे बगैर काम काज का जान कर कुछ अलग शब्द से नवाजा जाता है।
यहाँ तज की माँ, बीवी, रिश्तेदार भी बच्चे को बहुत सुनाते है, जब बच्चा याद न रख कर उन्ही की अच्छी बात बोले तो उसे बच्चा ही कहते है। भले ही वह एक बच्चे का बाप ही क्यों न हो।
संकलन और विकलन गणितके विषय है, जिसमें ज्ञान की दूरी को इस तरह बनाए रखने का कौशल है कि मूल रूप से मनुष्यों को कैसे बनाए रखा जाए ... वह भी सोच समझकर आवश्यक है, यहां तक कि सभी पशु पक्षियों और जीवजंतुके लिए भी जब कोई व्यक्ति लंबे समय से लगातार चोट करता हो या चोट खाता हो।
जय गुरुदेव दत्तात्रेय।
जिगर महेता / जैगीष्य
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