Thursday 25 April 2019

धर्मो रक्षति धर्म:।

धर्मका जय हो

दुनिया मे कई धर्म है। मैं किसी एक मे बंधे रहना न चाहता हूँ तो कही पर भी जाऊ सिर्फ सतह पर सत्य का आचरण करने मे मुझे यही याद रखना होगा की
“धर्म का जय हो”।
क्योंकि कोई भी धर्म नई पीढी के सुसंस्कार वर्जित नही करता। हमेशा कोई भी धर्म मनुष्य जीवन का अच्छा तरक्की हो वही चाहेगा, क्योकि तभी दुनिया का संतुलन बना रहेगा।
मैं ज्यादा न लिखते हुए इतना कह सकता हु की अर्वाचीन गुजरात के लेखकों ने जो भी युद्ध की बात कही लिखी, वहाँ इतना उजागर किया है कि
जहां धर्म है, वहीं जीत होती है।
ज्यादा मुझे नही मालूम पर एक वेदोक्त उक्ति प्रचलित है।
…”धर्मो रक्षति धर्म:।”…

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