पराशर और सत्यवती से द्वैपायन हुए।
उन्हें हम वेद व्यासजी कहते है।
द्वैपायन के पुत्र शुकदेव हुए।
द्वैपायनसे दो तरह ज्ञान मिला।
द्वैपायन से वेद पुराण एवम महान ग्रन्थों की रचनाओं का सम्पुट गणेशजी ने लिखकर किया।
द्वैपायनके पुत्र शुक ने गर्भ में ही ज्ञान पा लिया और बहोत सालों के बाद गर्भसे बाहर आये, तो सीधा माता पिता को छोड़ कर जंगल की ओर भागने लगे।
भागवत पुराण मे उल्लेख है।
विशेष विषय है कि द्वैपायनको जो ज्ञान मिला उसे एक ने लिख कर बढ़ाया तो दूसरे ने कहा कर बढाया।
व्यासजी ने उस गणेश से लिखवाया जीसे दो पत्नियां और दो पुत्र है। और जिससे बुलवाया गया वह उनका पुत्र बाल ब्रह्मचारी रह कर नई पीढ़ी के रचने वाले जिसका मृत्यु निश्चित था उसे परिक्षीत को सुनवाया गया।
जिसने लिखा उसके आने से शुभ और खुशियां होती है। और बोलने वाला आता है तो ततकाल मोक्ष होता है!!!!!!!!
दत्त प्रभु की बात में षSभुज की बात है। जिस शब्द में अंग सन्धि का महत्व है।
My question is what kind of important and necessary things was done by Ganesh and shukdevji… As received knowledge by vyasji and what ever written by Ganesh has two wife and two sons while shukdevji whatever speak has accepted self for Baal brhmcharee status!!!!!!
Here so many matter hidden by unknown reason as we human are if want to do bhakti, need clean mind only….
Jigar Mehta / Jaigishya
No comments:
Post a Comment