Tuesday, 1 September 2020

अग्नि परिवार माहिती

वायुपुराण के तहत अग्नि परिवार की माहिती।


अग्नि + स्वाहा = 

पावक (विद्युत / अवभ्रुथ) का पुत्र सहरक्ष्य

पवमान (निर्मांथ्य  / गारह्यपत्य ) का पुत्र क्रव्यवाहन

शुचि (शौर / सौर ) का पुत्र हव्यवाहन

Total 3

ब्रह्मोदनाग्नि जिसे भरत भी कहते हैं।

वैश्वानरमुख } मह } काव्य } जलरस(अमृत)

टोटल 5

लौकिकाग्नि अथर्वा } दद्ध्यड

(भृगु पुत्र अंगिरा भी कहते है।

पवमान या ग्रह्यापत्य के दो पुत्र जिसमे शंस्य एक और दूसरा आह्वनिय को अभिमानी कहते है और वही हव्यवाहन के रूपसे दो पुत्र प्रणयन और शुक्र का पिता है।

शंस्य के दो पुत्र सभ्य और अवस्थ्य

और शंस्य की 16 नदी के साथ शादी हुई।

जो कावेरी, कृष्णवेणी, नर्मदा, यमुना, गोदावरी, वितस्ता, चंद्रभागा, इरावती, विपाशा, कौशिकी, शतद्रु, सरयू, सीता, सरस्वती, ह्लादिनी, पावनी नामसे जानी जाती है।

शंस्य से 16 प्रकारकी धिष्ण्याः उतपन्न हुई। जिसे 16 धीषणी कहते हैं। 

जिसमे विहरणीय, और उपस्थेय मुख्य है।

उपस्थेय को शालामुखकीय लहते है।

ऋतु, प्रवाहण, अग्नीध्र भी है।

अनिर्देश्य और वाच्य भी है।

दूसरे उत्तरवैदिक अग्नि को सम्राट नामक पुत्र है।

पार्षदन्य अग्नि भी है।

प्रतद्वोच में नभ नामक अग्नि है।

वसु नाम से ब्रह्मज्योति अग्नि है।

शामित्र में हव्यसूर्य नामके अग्निको असंसृष्ट अग्नि कहते है।

विश्व का समुद्र नामक अग्नि है।

अति प्रकाशित ऋतुधामा अग्नि भी है। जो औदुम्बर वृक्षमे है।

अहिर्बुधन्य नामसे अनुदेश्य अग्नि भी है, जिसे गृहपति कहते है।

विहरणीय के आठ पुत्र कहे है जो वर्णन किया है।

पौत्रेय नामक हव्य का वहन करता हुआ अग्नि भी है।

शांति नामक अग्नि प्रचेता है। वही सत्य है।

विश्वदेव अग्नि भी ब्रह्म स्थान में है।

अवक्षुरच्छाक नामक अग्नि आकाश में है।

पराक्रमी उशीर नामक अग्नि नैष्ठीय है।

व्यरत्ति नामक मार्जालीय अग्नि है।

सौम्य भी धीषणी पुत्र अग्नि है।

पावक पुत्र ह्रच्छय जठराग्नि है। उसका पुत्र मन्यूमान है।

मन्यूमान } संवर्तकाग्नि जो वडवा नामक झषाणाम के मुख में होता है।

उसके पुत्र को सहरक्ष भी कहते है।

सहरक्ष का पुत्र क्षाम, जो सजीव के घर को जलाता है।

क्षाम का पुत्र क्रव्याद, जो मृत्यु पर्यन्त सजीव का भक्षण करता है।

शुचि का आयु नामक पुत्र है।

आयु से महिमान, से शावान,  से सवन, से अद्भुत, से विविच, से अर्क, महान नाम वाले अग्नि पुत्र है। 

सवन जो पाकयग्नो के अभिमानी है। वैसेही विविच प्रायश्चित वाले याग्निक का होमात्मक द्रव्य का भक्षण करता है।

अर्क के पुत्र का नाम इस तरह है। अनिकवान, वासृजवान, रक्षोहा, पितृकृत, सुरभि, द्रव्यरत्न, रुक्मांगद या रुकमान।

जैसे शंस्य कि 16 पत्नी है वैसे शुचि के 14 अग्नि को उसकी प्रजा कही है।

जय गुरुदेव दत्तात्रेय

जय हिंद

जिगर महेता / जैगीष्य

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