कई नाम शंकरके सहस्र नामावली में है।
जिसमे से "कृष्णपिंगला" नाम ने आज ध्यानाकर्षित किया जो महा नारायण उपनिषद में नारायण वल्ली में है। पूरा नामाख्यान कुछ इस तरह से है।
ऋतु÷ सत्यम परम् ब्रह्मपुरुषम कृष्णपिंगलम।
उर्ध्वरेतम विरुपाक्षम विश्वरुपाय वै नमो नमः:।।
कृष्णपिंगला = काला ओर पिला = मेष
हिरण्य मय, तेजो मय, धृत सजीवस्य भौतिक पदार्थ। जो अस्खलित रूपसे खत्म न होके भी ज्ञान मय रहकर लोगों को राह दिखाने से राहबर बने।
दिया, रूई की बाती, तेल या घी, अग्नि चार को इकठ्ठा करेंगे तो पाँचवी काली भांप आयेगी।
उसके वही ज्ञान रूप को कृष्ण पिंगला कहा है।
स्त्री का मंगलसूत्र एक चिह्न है पवित्र रूपसे।
जो प्रभु के हिरण्य मय रूप को दर्शाने में महत्व पूर्ण है।
जो 3.43 सेकण्ड पर सुनने के बाद पता चला।
जय गुरुदेव दत्तात्रेय।
जिगर महेता / जैगीष्य
No comments:
Post a Comment