Wednesday 9 September 2020

थी, एक बात

..थी एक बात…

थी एक बात,
अकेले आये है “ओर” अकेले जाएंगे।
आज कोरोना युगमे बदलावसे बात अलग है।
अकेले आये है “मगर” सम्पर्कमें आएंगे तो सभी जाएंगे।
यही वर्तमान है तो भविष्य का है।

थी एक बात,
लोग 100/- रुपये में घर चलाते थे।
कोरोना काल मे लोग बिना कमाए भी जी रहे है जबकी मिनिमम वेगस एक्ट से 400/- रुपये कमाते है।
लारी वाले भी गरीब और गाड़ीवालेको सब्जी समान भाव से महंगी दे रहे है।
यही वर्तमान है तो भविष्य का है।

थी एक बात,
मित्र मतलब सबकुछ। जैसे कि कृष्णार्जुनयुग्म।
कोरोना काल मे मित्र भी एक दूरी पर रहे तो ही अच्छा।
यही वर्तमान है तो भविष्य का है।

थी एक बात,
पहले दंगे को फसाद, या झग़डा कहते थे, जिससे लोग मरते थे।
कोरोना काल मे नजाने चीन कहांसे, कैसे पृष्ट भूमि पर आया।
सारी दुनियामेसे लोग बगैर झग़डे 10 % तक खत्म हुए।
यही वर्तमान है तो भविष्य का है।

थी एक बात, मेरे अपनो की।
जिगर बीवी बच्ची के साथ, माता पिता को छोड़कर, दादा दादी के बनाये हुए बंगले में रहता है।
पताही नही चला कोरोना में रसभीना रणछोड़ जी ने क्या गुल खिलाये, लोग भगवान के घर जाना बंद कर सिर्फ अपने घर परही रहने लगे।
यही वर्तमान है तो भविष्य का है।

थी एक बात
सीदी सैयद जाली , मेरी और निशी पटेल की।
चप्पल पहनके मत आओ।
न जाने कुदरत ने चप्पल समेत मोबाइल हाथमे दिया और कोरोना कालमे एक तस्वीर खींची गई।
नई नवेली कुदरत की बनी बनाई गई काष्ठजाली, बीचमे  विहग बेठा है।
यही वर्तमान है तो भविष्य का है।

જય ગુરુદેવ દત્તાત્રેય

जय हिंद

Jigar G Mehta / Jaigishya


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