छंद की सरल समजूति
विन्यास | उदाहरण - टीका | ||
---|---|---|---|
अत्यष्टि | ६८ | १२+१२+८+८+८+१२+८ | ऋग्वेद ९.१११.३ |
अतिजगती | ५२ | ११ + १० + १० + १० + ११ | ऋग्वेद ५.८७.१ |
अतिशक्वरी | ६० | १६ +१६ + १२ +८ ८ | ६.१५.६ |
अनुष्टुप | ३२ | ८ +८ +८ +८ | ३.५३.१२ |
अष्टि | ६४ | १६ +१६+ १६+ ८+ ८ | ४.१.१, २.२२.१ |
उष्णिक् | २८ | ८+ ८+ १२ | ३.१०.३ |
एकपदा विराट | १० | १० | १०.२०.१, इसको दशाक्षरा भी कहते हैं क्योंकि एक ही पङक्ति में १० अक्षर होते हैं। |
गायत्री | २४ | ८+ ८+ ८ | ३.११.४, प्रसिद्ध गायत्री मंत्र |
जगती | ४८ | १२+१२+१२+१२ | ९.६८.१ |
त्रिष्टुप | ४४ | ११ +११+ ११+ ११ | १०.१.३ |
द्विपदा विराट | २० | १२ ८ १० १० | |
धृति | ७२ | १२+१२+ ८+ ८+ ८+ १६+ ८ | ४.१.३ |
पंक्ति | ४० | ८+ ८+ ८+ ८+ ८ | ५.६.२ |
प्रगाथ | ७२ | ८+ ८+ ८+ १२+ १२+ १२+ १२ | ३.१६.३ |
प्रस्तार पंक्ति | ४० | १२+ १२+ ८+ ८ | ६.९.७५ |
बृहती | ३६ | ८+ ८+ १२+ ८ | ३.९.१ |
महाबृहती | ४४ | ८+ ८+ ८+ ८+ १२ | ६.४८.२१ |
विराट | ४० | १०+ १० +१०+ १० | ६.२०.७ |
शक्वरी | ५६ | ८ +८+ ८+ ८+ ८+ ८+ ८ | ५.२७.५ |
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