Tuesday, 6 July 2021

Ambhasyapaare easy meaning of mantra

Since long i wanted to translate these shlokas in Hindi and it's done today by the help of application... Probably there are mistake but if try to understand by the real students or scholars can getting success...
Basically there ate not actually translation available but it's only matter for our understanding only they are giving notes... Actual translation is very heavy for all... if i am not wrong... The supreme natural power given me little experience too.

Here 21 mantras taken from maha Narayana upnishad Krushna yajurveda...

Here i am giving the link of those all mantras dobe by Ghana pathi's video first listen than try to read and understand... 



1. सृष्टि का स्वामी, जो समुद्र के किनारे, पृथ्वी पर मौजूद है और स्वर्ग के ऊपर और जो महान से बड़ा है, वह प्रवेश कर गया है बीज रूप में प्राणियों की चमकीली बुद्धि, भ्रूण में कार्य करती है और बढ़ती है उस जीव में जो जन्म लेता है।

२. वह जिसमें यह सारा ब्रह्मांड एक साथ रहता है और विलीन हो जाता है, जिसमें सभी देवता अपनी-अपनी शक्तियों का आनंद लेते रहते हैं। यह निश्चित रूप से था अतीत और भविष्य में आएगा। ब्रह्मांड का यह कारण, प्रजापति, is अपनी अविनाशी प्रकृति द्वारा समर्थित, जिसे निरपेक्ष आकाश कहा गया है।

3 जैसे मिट्टी, जिस से नाना प्रकार के पात्र बनते हैं, उन को ढांप देती हैमिट्टी से बनी वस्तुएँ, इसी प्रकार सारा ब्रह्मांड भी आच्छादित है परमात्मा द्वारा। इस वास्तविकता को जानने वाले ऋषियों ने परमात्मा को महसूस किया, पूरा ब्रह्मांड, जैसा कि लोग कपड़े में बुने हुए धागे को देखते हैं।

४-५ जिनसे संसार की उत्पत्ति हुई, जिनसे समस्त प्राणियों की उत्पत्ति हुई संसार में जल जैसे तत्व, जो जड़ी-बूटियों से बने प्राणियों में प्रवेश करते हैं,
जानवरों और पुरुषों को आंतरिक नियंत्रक के रूप में, जो सबसे महान से बड़ा है, कौन है एक सेकण्ड के बिना, जो अदृश्य है, जो असीमित रूपों का है, जो ब्रह्मांड, जो प्राचीन है, जो अंधकार से परे रहता है, और जो से ऊंचा है उच्चतम, जो सबसे छोटे से सूक्ष्म है, उसके अतिरिक्त कुछ भी नहीं है।

6. ऋषि-मुनियों का कथन है कि वही सत्य है, वही सत्य है, वही सत्य है बुद्धिमानों द्वारा विचारित सम्मानित विद्वान। पूजा और समाज सेवा के कार्य वह भी हकीकत हैं। वही ब्रह्मांड की नाभि होने के कारण कई गुना धारण करता है ब्रह्मांड जो अतीत में उत्पन्न हुआ और जो वर्तमान में अस्तित्व में आता है।

7. वही अग्नि है; वही वायु है, वही सूर्य है, वही वास्तव में चन्द्रमा है, वही है चमकते सितारे और अमृत है। वह भोजन है; वह जल है और वह का स्वामी है जीव का।
8-9.  सभी निमेष, काल, मुहूर्त, काठ, दिन, अर्धमाह (पक्ष), मास और ऋतुओं का जन्म स्वयं प्रकाशमान व्यक्ति से हुआ है।  वर्ष भी उन्हीं से उत्पन्न हुआ था। उसने पानी और इन दोनों को, अंगों और स्वर्ग को भी दूध पिलाया।

१०. कोई भी व्यक्ति इस परमात्मा की ऊपरी सीमा को अपनी समझ से कभी नहीं समझा, न उसकी चौड़ाई, न उसका मध्य भाग।  उसका नाम "महान महिमा" है और कोई नहीं कर सकता उसकी प्रकृति को परिभाषित करें।

11. उसका रूप नहीं देखना है;  कोई उसे आँखों से नहीं देखता।  जो लोग ध्यान करते हैं वह अपने मन से विचलित और हृदय में स्थिर है, उसे जानो;  वे बनें अजर अमर।

१२. शास्त्रों में विख्यात यह स्वयंभू भगवान के सभी क्षेत्रों में व्याप्त है स्वर्ग।  आदि में हिरण्यगर्भ के रूप में जन्म लेने के बाद, वह वास्तव में अंदर है inside ब्रह्मांड को गर्भ के रूप में दर्शाया गया है।  वह अकेले ही अब सृष्टि की कई गुना दुनिया है अस्तित्व में आना और सृष्टि की दुनिया के जन्म का कारण।  चेहरे के रूप में हर जगह, वह सभी प्राणियों का नेतृत्व करते हुए, अंतरतम आत्मा के रूप में निवास करता है।


१३. आत्म-प्रकाशमान वास्तविकता एक सेकंड के बिना एक है और स्वर्ग का निर्माता है और पृथ्वी (स्वयं और स्वयं से ब्रह्मांड की रचना करके) वह मालिक बन गया ब्रह्मांड के हर हिस्से में सभी प्राणियों की आंखों, चेहरों, हाथों और पैरों की। वह नियंत्रित करता है उन सभी को धर्म और अधर्म (गुण और दोष) द्वारा उनके दो हाथों के रूप में दर्शाया गया है ब्रह्मांड के घटक तत्व जिन्होंने आत्माओं को सामग्री की आपूर्ति की है पैर या पत्र के रूप में प्रतिनिधित्व अवतार। 
1

14-15. वह जिसमें यह ब्रह्मांड उत्पन्न होता है और जिसमें यह अवशोषित होता है, वह जो अस्तित्व में है exists सभी निर्मित प्राणियों में ताना और ताना, जिसके द्वारा तीन अवस्थाएँ (जाग्रत, स्वप्न और गहरी नींद) जीवों में स्थापित हैं, वह जिसमें ब्रह्मांड का एक ही स्थान पाता है
आराम। उस परमात्मा को देखने के बाद, वेण नामक गंधर्व, जो सभी का सच्चा ज्ञाता है
दुनिया, पहली बार अपने शिष्यों को घोषित किया, कि वास्तविकता अमर है। वह जो
जानता है कि सर्वव्यापी, पिता के कारण सम्मान पाने के योग्य हो जाता है।

16. जिसकी शक्ति से देवताओं ने स्वर्ग के तीसरे लोक में अमरत्व प्राप्त किया, उनके संबंधित स्थान। वह हमारे दोस्त, पिता और मालिक हैं। वह . के उचित स्थानों को जानता है हर एक, क्योंकि वह सभी प्राणियों को समझता है।

17. जिन्होंने सर्वोच्च भगवान के साथ अपनी पहचान का एहसास कर लिया है, तुरंत स्वर्ग और पृथ्वी पर फैल गया। वे अन्य संसारों, और स्वर्गीय में व्याप्त हैं सुवर-लोक नामक क्षेत्र। सृजित प्राणियों में से जो कोई भी उस ब्राह्मण को देखता है रीटा या "द ट्रू' नाम दिया गया है, जो लगातार सृष्टि में व्याप्त है, जैसे कि एक का धागा कपड़ा, मन में चिंतन से, और वे वह हो जाते हैं।

१८. संसारों और सृजित प्राणियों और सभी क्षेत्रों में व्याप्त होकर और मध्यवर्ती तिमाहियों, ब्राह्मण का पहला जन्म प्रजापति या के रूप में जाना जाता है हिरण्यगर्भ अपने स्वभाव से परमात्मा, शासक और के रूप में बन गया व्यक्तिगत आत्माओं का रक्षक।

19. मैं ब्रह्मांड के अव्यक्त कारण उत्कृष्ट भगवान से प्रार्थना करता हूं, जो प्रिय है इन्द्र और मेरे स्वयं के लिए, जो वांछनीय है, जो सम्मान के योग्य है और जो बौद्धिक शक्तियों का दाता है।

20. हे जाटवेद, (अग्नि) मेरे पापों को नष्ट करने के लिए तेज चमकते हैं। मुझे विभिन्न प्रकार के धन के भोग प्रदान करें।  मुझे दो पोषण और दीर्घायु।  कृपया मुझे एक उपयुक्त आवास प्रदान करें dwell कोई दिशा।

२१. हे जाटवेद, आपकी कृपा से, हमारी गायों, घोड़ों, पुरुषों और दुनिया में अन्य सामानों की रक्षा की जाए।  हे अग्नि, आराम से आओ आपके हाथ में हथियार या अपराधों के विचारों के बिना हमें आपका विचार।  मुझे हर तरफ धन के साथ एकजुट करें।

जय जय गुरुदेव दत्तात्रेय

जय हिंद

जिगरम जैगिष्य जिगर:

Monday, 5 July 2021

રાફાયેલ ક્રાંતિ

મિત્રો આજે shrepa ની વાત કરવાની છે જે નેપાળની નથી પણ ફ્રાન્સ ની વાત છે…


જય હિન્દ

આજે જ્યારે ભારત મા ચર્ચા નો વિરામ આવ્યો તો ફ્રાન્સ મા એ દૌર ચાલુ થયો એનો મર્મ ઊંચો આંકી જ શકાય… કેવી રીતે?

ભારતે વિમાનો 528 ની જગ્યાએ 1617 કરોડ મા ખરીદ્યા. એ પણ સંપૂર્ણ કાગળ પર ની પારદર્શી વાતો થી.

ફ્રાન્સ મા સવાલ પૂછયો શેરપાએ, કે જે સોફ્ટવેર ની કિંમત 100 રૂપિયા હતી તે ભારત પાસેથી 1000 કેમ ચાર્જ કરાયા યાની વસુલાયા??

આજ પડઘમ ની વાતે ભારતીય સમાચાર જગત ની અભિકરણ સંસ્થા ઓ ની વર્ણન શૈલી ની મજાક ના ઉડાડે એ વાત એમને યાની એડિટર યાની તંત્રી લોકોએ જોવાની રહેશે.

આમેય કોઈ સમાચાર ચેનલ આંતરરાષ્ટ્રીય સ્તરે ઝળકી તો નથી, પણ દેશનો / ને/નું/ના/ની ક્ષમતા કેવી રીતે સમાચાર થી આકલન કરાવશે તે પણ સમય સંજોગ જ કહેશે.

SHERPA (Securing a Hybrid Environment for Research Preservation and Access) is an organisation originally set up in 2002 to run and manage the SHERPA Project.

શેરપા નું આખું નામ પણ વિશિષ્ટ છે ને!!!

https://www.telegraphindia.com/world/judge-appointed-in-france-to-investigate-corruption-in-rafale-fighter-aircraft-deal/cid/1821138

આ સમગ્ર વાત ચોક્કસ અતુલ્ય ભારતની પારદર્શી વાતો નો ઇતિહાસ ઉજાગર કરશે.

જય ગુરુદેવ દત્તાત્રેય

જય હિન્દ

જીગરમ જૈગીષ્ય જીગર:

spiritual eyes are at guda dwar means at BHaGa:

**MADHEE****means****BODY's****EYE**  

MADHEE means BODY's EYES

This is personally very hard core insident happened in my life so do not consider as wrong attitude or other valgur ways mind thinking things... It's my personal hidden life sharing information...

Brahm is everywhere but if the question is about child, as how we can consider other as child or children, as same as another question is how we can justify person as Younger with possible intercourses, Which can be done by him or her with different gender person..??? And if do so then capacity of making self as father or mother is how much...

As present days only financial condition only think by older fellow for marriage life, there are no chance for ancient theory or Veda knowledge or other kind education base master information if in mind... Focusing question about same done or rise up in my mind as today unfortunately watched porn film clip when I don't know language and open same portal without knowledge and watched things related to new born babies but some how my shishna or penis getting rise, though I am very control person after few insident happen in my life...

One old age Marathi lady pined up ear-bird in my daughter's ace hole... That time only crying factor front of me about my daughter... I was shocked and seated very egarly and curious as my daughter has constipation problem as per her named and that Marathi lady do so that wrong behaviour Which is showing in today's blog photo .. But today I seen clip and here put the images though it's matter about medical term but question about why by me seen same thing which already done with my daughter prior and I was normal in her child hood and today ... Yes... today I get full force of my penis as rise mode and waiting for my wife entry!!!?????

One Gujarati story about bawa and his daughter and there are a line or sentence in that religion story that

"MAAREE MADHEE MAA KON CHHE???"

Nani hashe to dikri kahu ...  
Moti to Ben kahu ...  
Ethi Moti to MAA kahu...  
... MEANS .. WHO IS IN MY BODY's EYES as third eye vision???

If Smaller than i will tell  daughter, I will tell If younger than sister, I will tell And above age than MAA or mother, I will tell...

... Little heavier matter in life ... and here avoid to write on the question on wife's as "IS THERE MY WIFE IN SIDE MY BODY"??? AS MY PERSONAL OWN EYES ARE GIVING RESPECT TO SO MANY PEOPLE...

We all know shukraachaarya had only one eye... and it's story for about saving king BALEe...  


Jay Gurudev Dattatreya  
Jay Hind...  
JIGARAM JAIGISHYA Jigar:

SHUKRA means  
Sha U Kra  
The lord Shiva's starting position from where he can having the capacity to giving proper guidelines for saving Humanities with his eyes own experience but when he was wrong than he has only one eye vision and thus we can find gid and setaan both at same places...

Certainly i asked my daughter to wear full covered body clothes but that is always denied by my wife as she promt her as "You can do it in your TEEN AGE"

I AM praying god to save world's teen age daughter's sheel...  
For more information you can see the Hollywood film
Guardian of galaxy ... Thor getting his second eye which was saved by the animal and hidden way theft by it from its bhaga: means guda dwar...

સાબિતી છે પણ પછી ક્યારેક જો કુદરત ને યોગ્ય હશે તો...

आदित्य हृदय स्तोत्रम मात्र

आदित्य हृदय स्तोत्रम मात्र

... सूर्य देव की प्रार्थना है । जो राम और रावण के साथ महायुद्ध से पहले सुनाई गई थी। 

इस प्रार्थना को महर्षि ऋषि अगस्त्य द्वारा सुनाई गयी थी। 

यह पूजन तब है जब आपकी राशि (जन्म कुंडली) में सूर्य ग्रहण लगा हो। इस परस्थिति में आपको अच्छे परिणाम के लिए पाठ अच्छा है।

आदित्य यानी जो अजीज (पासमे रहकर) आगे से हर हमेश रूपसे दिखाई देता है। नित्य है जो परम तेज।

ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्।
रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्॥ 01।।

दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्।
उपागम्याब्रवीद्राममगस्त्यो भगवान् ऋषिः॥ 02।।

राम राम महाबाहो शृणु गुह्यं सनातनम्।
येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसि॥ 03।।

आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम्।
जयावहं जपेन्नित्यम् अक्षय्यं परमं शिवम्॥ 04।।

सर्वमङ्गलमाङ्गल्यं सर्वपापप्रणाशनम
चिन्ताशोकप्रशमनम् आयुर्वर्धनमुत्तमम्॥ 05।।

रश्मिमंतं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम्।
पूजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम्॥ 06।।

सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावनः।
एष देवासुरगणाँल्लोकान् पाति गभस्तिभिः॥ 07।।

एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः।
महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः॥ 08।।

पितरो वसवः साध्या ह्यश्विनौ मरुतो मनुः।
वायुर्वह्निः प्रजाप्राण ऋतुकर्ता प्रभाकरः॥ 09।।

आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गभस्तिमान्।
सुवर्णसदृशो भानुर्हिरण्यरेता दिवाकरः॥ 10।।

हरिदश्वः सहस्रार्चि: सप्तसप्ति-मरीचिमान।
तिमिरोन्मन्थन: शम्भुस्त्वष्टा मार्ताण्ड अंशुमान॥ 11।।

हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनो भास्करो रविः।
अग्निगर्भोsदिते: पुत्रः शंखः शिशिरनाशान:॥ 12।।

व्योम नाथस्तमोभेदी ऋग्य जुस्सामपारगः।
धनवृष्टिरपाम मित्रो विंध्यवीथिप्लवंगम:॥ 13।।

आतपी मंडली मृत्युः पिंगलः सर्वतापनः।
कविर्विश्वो महातेजाः रक्तः सर्वभवोद्भव:॥ 14।।

नक्षत्रग्रहताराणा-मधिपो विश्वभावनः।
तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन्नमोस्तुते॥ 15।।

नमः पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रए नमः।
ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नमः॥ 16।।

जयाय जयभद्राय हर्यश्वाए नमो नमः।
नमो नमः सहस्रांशो आदित्याय नमो नमः॥ 17।।

नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नमः।
नमः पद्मप्रबोधाय मार्तण्डाय नमो नमः॥ 18।।

ब्रह्मेशानाच्युतेषाय सूर्यायादित्यवर्चसे।
भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नमः॥ 19।।

तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने।
कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषाम् पतये नमः॥ 20।।

तप्तचामिकराभाय वह्नये विश्वकर्मणे।
नमस्तमोsभिनिघ्नाये रुचये लोकसाक्षिणे॥ 21।।

नाशयत्येष वै भूतम तदेव सृजति प्रभुः।
पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभिः॥ 22।।

एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठितः।
एष एवाग्निहोत्रम् च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम॥ 23।।

वेदाश्च क्रतवश्चैव क्रतुनाम फलमेव च।
यानि कृत्यानि लोकेषु सर्व एष रविः प्रभुः॥ 24।।

एन मापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च।
कीर्तयन पुरुष: कश्चिन्नावसीदति राघव॥ 25।।

पूज्यस्वैन-मेकाग्रे देवदेवम जगत्पतिम।
एतत त्रिगुणितम् जप्त्वा युद्धेषु विजयिष्यसि॥ 26।।

अस्मिन क्षणे महाबाहो रावणम् तवं वधिष्यसि।
एवमुक्त्वा तदाsगस्त्यो जगाम च यथागतम्॥ 27।।

एतच्छ्रुत्वा महातेजा नष्टशोकोsभवत्तदा।
धारयामास सुप्रितो राघवः प्रयतात्मवान ॥ 28।।

आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वा तु परम हर्षमवाप्तवान्।
त्रिराचम्य शुचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान॥ 29।।

रावणम प्रेक्ष्य हृष्टात्मा युद्धाय समुपागमत।
सर्वयत्नेन महता वधे तस्य धृतोsभवत्॥ 30।।

अथ रवि-रवद-न्निरिक्ष्य रामम। 
मुदितमनाः परमम् प्रहृष्यमाण:।
निशिचरपति-संक्षयम् विदित्वा सुरगण-मध्यगतो वचस्त्वरेति॥ 31।।


मनुष्य के अंधकार युक्त श्री शरीर देह में आत्मा पूंज की ज्योति की विषम प्रज्ञा को चैतन्यमय बनाए। 

जय गुरुदेव दत्तात्रेय। 

जय हिंद।

जिगरम जैगिष्य जिगर:

आदित्य हृदय स्तोत्रम एवम भावानुवाद

आदित्य हृदय स्तोत्रम एवम भावानुवाद

आदित्य हृदय स्तोत्र – भगवान सूर्य देव की प्रार्थना है । जो राम और रावण के साथ महायुद्ध से पहले सुनाई गई थी। इस प्रार्थना को महर्षि ऋषि अगस्त्य द्वारा सुनाई गयी थी। यह पूजन तब है जब आपकी राशि (जन्म कुंडली) में सूर्य ग्रहण लगा हो। इस परस्थिति में आपको अच्छे परिणाम के लिए, नियमित रूप से कर्मकाण्ड (पाठ,व्रत हवन आदि) करने होंगे। आदित्य हृदय स्तोत्र मन की शांति, आत्मविश्वास और समृद्धि देता है। इस प्रार्थना के पाठ से जीवन में आने वाली सभी बाधाएं दूर होती हैं। आदित्य हृदय स्तोत्र पूजा विधि से अनगिनत लाभ होते हैं। जिसके लिए आदित्य हृदय स्तोत्र के जप, पूजा पाठ हवन और व्रत रखे जाते हैं।

ततो युद्धपरिश्रान्तं समरे चिन्तया स्थितम्।रावणं चाग्रतो दृष्ट्वा युद्धाय समुपस्थितम्॥ 01
उधर श्रीरामचन्द्रजी युद्ध से थककर चिंता करते हुए रणभूमि में खड़े हुए थे। इतने में रावण भी युद्ध के लिए उनके सामने उपस्थित हो गया।

दैवतैश्च समागम्य द्रष्टुमभ्यागतो रणम्।उपागम्याब्रवीद्राममगस्त्यो भगवान् ऋषिः॥ 02
यह देख भगवान् अगस्त्य मुनि, जो देवताओं के साथ युद्ध देखने के लिए आये थे, श्रीराम के पास जाकर बोले।

राम राम महाबाहो शृणु गुह्यं सनातनम्।येन सर्वानरीन् वत्स समरे विजयिष्यसि॥ 03
सबके ह्रदय में रमन करने वाले महाबाहो राम! यह सनातन गोपनीय स्तोत्र सुनो! वत्स! इसके जप से तुम युद्ध में अपने समस्त शत्रुओं पर विजय पा जाओगे ।

आदित्यहृदयं पुण्यं सर्वशत्रुविनाशनम्।जयावहं जपेन्नित्यम् अक्षय्यं परमं शिवम्॥ 04
इस गोपनीय स्तोत्र का नाम है ‘आदित्यहृदय’ । यह परम पवित्र और संपूर्ण शत्रुओं का नाश करने वाला है। इसके जप से सदा विजय कि प्राप्ति होती है। यह नित्य अक्षय और परम कल्याणमय स्तोत्र है।

सर्वमङ्गलमाङ्गल्यं सर्वपापप्रणाशनम्।चिन्ताशोकप्रशमनम् आयुर्वर्धनमुत्तमम्॥ 05
सम्पूर्ण मंगलों का भी मंगल है। इससे सब पापों का नाश हो जाता है। यह चिंता और शोक को मिटाने तथा आयु का बढ़ाने वाला उत्तम साधन है।

रश्मिमंतं समुद्यन्तं देवासुरनमस्कृतम्।पूजयस्व विवस्वन्तं भास्करं भुवनेश्वरम्॥ 06
भगवान् सूर्य अपनी अनंत किरणों से सुशोभित हैं । ये नित्य उदय होने वाले, देवता और असुरों से नमस्कृत, विवस्वान नाम से प्रसिद्द, प्रभा का विस्तार करने वाले और संसार के स्वामी हैं । तुम इनका रश्मिमंते नमः, समुद्यन्ते नमः, देवासुरनमस्कृताये नमः, विवस्वते नमः, भास्कराय नमः, भुवनेश्वराये नमः इन मन्त्रों के द्वारा पूजन करो।

सर्वदेवात्मको ह्येष तेजस्वी रश्मिभावनः।एष देवासुरगणाँल्लोकान् पाति गभस्तिभिः॥ 07
संपूर्ण देवता इन्ही के स्वरुप हैं । ये तेज़ की राशि तथा अपनी किरणों से जगत को सत्ता एवं स्फूर्ति प्रदान करने वाले हैं । ये अपनी रश्मियों का प्रसार करके देवता और असुरों सहित समस्त लोकों का पालन करने वाले हैं ।

एष ब्रह्मा च विष्णुश्च शिवः स्कन्दः प्रजापतिः।महेन्द्रो धनदः कालो यमः सोमो ह्यपां पतिः॥ 08
भगवान सूर्य, ब्रह्मा, विष्णु, शिव, स्कन्द, प्रजापति, महेंद्र, कुबेर, काल, यम, सोम एवं वरुण आदि में भी प्रचलित हैं।

पितरो वसवः साध्या ह्यश्विनौ मरुतो मनुः।वायुर्वह्निः प्रजाप्राण ऋतुकर्ता प्रभाकरः॥ 09
ये ही ब्रह्मा, विष्णु शिव, स्कन्द, प्रजापति, इंद्र, कुबेर, काल, यम, चन्द्रमा, वरुण, पितर , वसु, साध्य, अश्विनीकुमार, मरुदगण, मनु, वायु, अग्नि, प्रजा, प्राण, ऋतुओं को प्रकट करने वाले तथा प्रकाश के पुंज हैं ।

आदित्यः सविता सूर्यः खगः पूषा गभस्तिमान्।सुवर्णसदृशो भानुर्हिरण्यरेता दिवाकरः॥ 10
इनके नाम हैं आदित्य(अदितिपुत्र), सविता(जगत को उत्पन्न करने वाले), सूर्य(सर्वव्यापक), खग, पूषा(पोषण करने वाले), गभस्तिमान (प्रकाशमान), सुवर्णसदृश्य, भानु(प्रकाशक), हिरण्यरेता(ब्रह्मांड कि उत्पत्ति के बीज), दिवाकर(रात्रि का अन्धकार दूर करके दिन का प्रकाश फैलाने वाले),

हरिदश्वः सहस्रार्चि: सप्तसप्ति-मरीचिमान।तिमिरोन्मन्थन: शम्भुस्त्वष्टा मार्ताण्ड अंशुमान॥ 11
हरिदश्व, सहस्रार्चि (हज़ारों किरणों से सुशोभित), सप्तसप्ति(सात घोड़ों वाले), मरीचिमान(किरणों से सुशोभित), तिमिरोमंथन(अन्धकार का नाश करने वाले), शम्भू, त्वष्टा, मार्तण्डक(ब्रह्माण्ड को जीवन प्रदान करने वाले), अंशुमान,

हिरण्यगर्भः शिशिरस्तपनो भास्करो रविः।अग्निगर्भोsदिते: पुत्रः शंखः शिशिरनाशान:॥ 12
हिरण्यगर्भ(ब्रह्मा), शिशिर(स्वभाव से ही सुख प्रदान करने वाले), तपन(गर्मी पैदा करने वाले), अहस्कर, रवि, अग्निगर्भ(अग्नि को गर्भ में धारण करने वाले), अदितिपुत्र, शंख, शिशिरनाशन(शीत का नाश करने वाले),

व्योम नाथस्तमोभेदी ऋग्य जुस्सामपारगः।धनवृष्टिरपाम मित्रो विंध्यवीथिप्लवंगम:॥ 13
व्योमनाथ(आकाश के स्वामी), तमभेदी, ऋग, यजु और सामवेद के पारगामी, धनवृष्टि, अपाम मित्र (जल को उत्पन्न करने वाले), विंध्यवीथिप्लवंगम (आकाश में तीव्र वेग से चलने वाले),

आतपी मंडली मृत्युः पिंगलः सर्वतापनः।कविर्विश्वो महातेजाः रक्तः सर्वभवोद्भव:॥ 14
आतपी, मंडली, मृत्यु, पिंगल(भूरे रंग वाले), सर्वतापन(सबको ताप देने वाले), कवि, विश्व, महातेजस्वी, रक्त, सर्वभवोद्भव (सबकी उत्पत्ति के कारण),

नक्षत्रग्रहताराणा-मधिपो विश्वभावनः।तेजसामपि तेजस्वी द्वादशात्मन्नमोस्तुते॥ 15
नक्षत्र, ग्रह और तारों के स्वामी, विश्वभावन(जगत कि रक्षा करने वाले), तेजस्वियों में भी अति तेजस्वी और द्वादशात्मा हैं। इन सभी नामो से प्रसिद्द सूर्यदेव ! आपको नमस्कार है।

नमः पूर्वाय गिरये पश्चिमायाद्रए नमः।ज्योतिर्गणानां पतये दिनाधिपतये नमः॥ 16
पूर्वगिरी उदयाचल तथा पश्चिमगिरी अस्ताचल के रूप में आपको नमस्कार है । ज्योतिर्गणों (ग्रहों और तारों) के स्वामी तथा दिन के अधिपति आपको प्रणाम है।

जयाय जयभद्राय हर्यश्वाए नमो नमः।नमो नमः सहस्रांशो आदित्याय नमो नमः॥ 17
आप जयस्वरूप तथा विजय और कल्याण के दाता हैं। आपके रथ में हरे रंग के घोड़े जुते रहते हैं। आपको बारबार नमस्कार है। सहस्रों किरणों से सुशोभित भगवान् सूर्य! आपको बारम्बार प्रणाम है। आप अदिति के पुत्र होने के कारण आदित्य नाम से भी प्रसिद्द हैं, आपको नमस्कार है।

नम उग्राय वीराय सारंगाय नमो नमः।नमः पद्मप्रबोधाय मार्तण्डाय नमो नमः॥ 18
उग्र, वीर, और सारंग सूर्यदेव को नमस्कार है । कमलों को विकसित करने वाले प्रचंड तेजधारी मार्तण्ड को प्रणाम है।

ब्रह्मेशानाच्युतेषाय सूर्यायादित्यवर्चसे।भास्वते सर्वभक्षाय रौद्राय वपुषे नमः॥ 19
आप ब्रह्मा, शिव और विष्णु के भी स्वामी है । सूर आपकी संज्ञा है, यह सूर्यमंडल आपका ही तेज है, आप प्रकाश से परिपूर्ण हैं, सबको स्वाहा कर देने वाली अग्नि आपका ही स्वरुप है, आप रौद्ररूप धारण करने वाले हैं, आपको नमस्कार है।

तमोघ्नाय हिमघ्नाय शत्रुघ्नायामितात्मने।कृतघ्नघ्नाय देवाय ज्योतिषाम् पतये नमः॥ 20
आप अज्ञान और अन्धकार के नाशक, जड़ता एवं शीत के निवारक तथा शत्रु का नाश करने वाले हैं । आपका स्वरुप अप्रमेय है । आप कृतघ्नों का नाश करने वाले, संपूर्ण ज्योतियों के स्वामी और देवस्वरूप हैं, आपको नमस्कार है।

तप्तचामिकराभाय वह्नये विश्वकर्मणे।नमस्तमोsभिनिघ्नाये रुचये लोकसाक्षिणे॥ 21
आपकी प्रभा तपाये हुए सुवर्ण के समान है, आप हरी और विश्वकर्मा हैं, तम के नाशक, प्रकाशस्वरूप और जगत के साक्षी हैं, आपको नमस्कार है।

नाशयत्येष वै भूतम तदेव सृजति प्रभुः।पायत्येष तपत्येष वर्षत्येष गभस्तिभिः॥ 22
रघुनन्दन! ये भगवान् सूर्य ही संपूर्ण भूतों का संहार, सृष्टि और पालन करते हैं । ये अपनी किरणों से गर्मी पहुंचाते और वर्षा करते हैं।

एष सुप्तेषु जागर्ति भूतेषु परिनिष्ठितः।एष एवाग्निहोत्रम् च फलं चैवाग्निहोत्रिणाम॥ 23
ये सब भूतों में अन्तर्यामी रूप से स्थित होकर उनके सो जाने पर भी जागते रहते हैं । ये ही अग्निहोत्र तथा अग्निहोत्री पुरुषों को मिलने वाले फल हैं।

वेदाश्च क्रतवश्चैव क्रतुनाम फलमेव च।यानि कृत्यानि लोकेषु सर्व एष रविः प्रभुः॥ 24
वेदों, यज्ञ और यज्ञों के फल भी ये ही हैं। संपूर्ण लोकों में जितनी क्रियाएँ होती हैं उन सबका फल देने में ये ही पूर्ण समर्थ हैं।

एन मापत्सु कृच्छ्रेषु कान्तारेषु भयेषु च।कीर्तयन पुरुष: कश्चिन्नावसीदति राघव॥ 25
राघव! विपत्ति में, कष्ट में, दुर्गम मार्ग में तथा और किसी भय के अवसर पर जो कोई पुरुष इन सूर्यदेव का कीर्तन करता है, उसे दुःख नहीं भोगना पड़ता।

पूज्यस्वैन-मेकाग्रे देवदेवम जगत्पतिम।एतत त्रिगुणितम् जप्त्वा युद्धेषु विजयिष्यसि॥ 26
इसलिए तुम एकाग्रचित होकर इन देवाधिदेव जगदीश्वर कि पूजा करो । इस आदित्यहृदय का तीन बार जप करने से तुम युद्ध में विजय पाओगे।

अस्मिन क्षणे महाबाहो रावणम् तवं वधिष्यसि।एवमुक्त्वा तदाsगस्त्यो जगाम च यथागतम्॥ 27
महाबाहो ! तुम इसी क्षण रावण का वध कर सकोगे। यह कहकर अगस्त्यजी जैसे आये थे वैसे ही चले गए।

एतच्छ्रुत्वा महातेजा नष्टशोकोsभवत्तदा।धारयामास सुप्रितो राघवः प्रयतात्मवान ॥ 28
उनका उपदेश सुनकर महातेजस्वी श्रीरामचन्द्रजी का शोक दूर हो गया। उन्होंने प्रसन्न होकर शुद्धचित्त से आदित्यहृदय को धारण किया।

आदित्यं प्रेक्ष्य जप्त्वा तु परम हर्षमवाप्तवान्।त्रिराचम्य शुचिर्भूत्वा धनुरादाय वीर्यवान॥ 29
और तीन बार आचमन करके शुद्ध हो भगवान् सूर्य की और देखते हुए इसका तीन बार जप किया । इससे उन्हें बड़ा हर्ष हुआ । फिर परम पराक्रमी रघुनाथ जी ने धनुष उठाकर

रावणम प्रेक्ष्य हृष्टात्मा युद्धाय समुपागमत।सर्वयत्नेन महता वधे तस्य धृतोsभवत्॥ 30
रावण की और देखा और उत्साहपूर्वक विजय पाने के लिए वे आगे बढे। उन्होंने पूरा प्रयत्न करके रावण के वध का निश्चय किया।

अथ रवि-रवद-न्निरिक्ष्य रामम। मुदितमनाः परमम् प्रहृष्यमाण:।निशिचरपति-संक्षयम् विदित्वा सुरगण-मध्यगतो वचस्त्वरेति॥ 31
उस समय देवताओं के मध्य में खड़े हुए भगवान् सूर्य ने प्रसन्न होकर श्रीरामचन्द्रजी की और देखा और निशाचरराज रावण के विनाश का समय निकट जानकर हर्षपूर्वक कहा – ‘रघुनन्दन! अब जल्दी करो’ । इस प्रकार भगवान् सूर्य कि प्रशंसा में कहा गया और वाल्मीकि रामायण के युद्ध काण्ड में वर्णित यह आदित्य हृदयम मंत्र संपन्न होता है।


मनुष्य के अंधकार युक्त श्री शरीर देह में आत्मा पूंज की ज्योति की विषम प्रज्ञा। 


जय गुरुदेव दत्तात्रेय। जय हिंद।




Jay Hind. 
ॐ मणि पद्मे हुम। જય ગુરુદેવ દત્તાત્રેય .

सूर्य आह्वाहन मंत्र उपासना

सूर्य आह्वाहन मंत्र उपासना

त्वं भानो जगतश्चक्षु स्त्वमात्मा सर्व देहिनाम् |
त्वं योनिः सर्वभूतानां त्वमाचार: क्रियावताम् ||

त्वं गति: सर्वसांख्यानां योगिनां त्वं परायणम् |
अनावृतार्गलद्वारं त्वं गतिस्त्वं मुमुक्षताम् ||

त्वया संधार्यते लोकस्त्वया लोक: प्रकाश्यते |
त्वया पवित्री क्रियते निर्व्याजं पाल्यते त्वया ||

मनूनां मनुपुत्राणां जगतो मानवस्य च |
मन्वन्तराणां सर्वेषामीश्वराणां त्वमीश्वरः ।।

ज्योतींषित्वयि सर्वाणी त्वं सर्व ज्योतिषां पति: |
त्वयि सत्यं च सत्त्वं च सर्वे भावाश्च सात्त्विका: ||

आवाह्येतं द्विभुजं दिनेशं सप्ताश्ववाहं धुमणिं ग्रहेषम |
सिन्दूरवर्णप्रतिमावभासं भजामि सूर्य कुलवृद्धिहेतोः ॥

सूर्य उपासना क्षमा प्रार्थना

सूर्य उपासना क्षमा प्रार्थना

उपसन्न्स्य दीनस्य प्रायश्चित्तकृताञ्जले: |  
शरणं च प्रपन्नस्य कुरुष्वाद्य दयां प्रभो ||

परत्र भयभीतस्य भग्नखंडव्रतस्य च |  
कुरु प्रसादं सम्पूर्णं व्रतं सम्पूर्णमस्तु में ||

यज्ञच्छीद्रम तपश्छिद्रं यच्छीद्रम पूजने मम |  
तत्सर्वमच्छीद्रमस्तु भास्करस्य प्रसादतः ||



सूर्य उपासना क्षमा प्रार्थना

उपसन्न्स्य दीनस्य प्रायश्चित्तकृताञ्जले: |  
शरणं च प्रपन्नस्य कुरुष्वाद्य दयां प्रभो ||

परत्र भयभीतस्य भग्नखंडव्रतस्य च |  
कुरु प्रसादं सम्पूर्णं व्रतं सम्पूर्णमस्तु में ||

यज्ञच्छीद्रम तपश्छिद्रं यच्छीद्रम पूजने मम |  
तत्सर्वमच्छीद्रमस्तु भास्करस्य प्रसादतः ||

सूर्य उपासना अर्घ्य मंत्र

सूर्य उपासना अर्घ्य मंत्र

एहि सूर्य ! सहस्त्रांशो ! तेजोराशे ! जगत्पते |  
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणायँ नमोस्तुते ||

तापत्रयहरं दिव्यं परमानन्दलक्षणम् |  
तापत्रयविमोक्षाय तवायँ कल्प्याम्यहम् ||

नमो भगवते तुभ्यं नमस्ते जातवेदसे |  
दत्तमर्घ्य मया भानो ! त्वं गृहाण नमोस्तुते ||

अर्घ्यं गृहाण देवेश गन्धपुष्पाक्षतैः सह ।  
करुणां कुरु मे देव गृहाणायँ नमोस्तुते ||

नमोस्तु सूर्याय सहस्त्रभानवे नमोस्तु वैश्वानर- जातवेदसे |  
त्वमेव चार्घ्य प्रतिगृह्ण देव ! देवाधिदेवाय नमो नमस्ते ||  

सूर्य उपासना ध्यान मंत्र

सूर्य उपासना ध्यान मंत्र

ॐ आदित्याय नमः  
यं ब्रह्मावरुणेन्द्ररुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैः स्तवैर्वेदैः 
साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगाः।।  
ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो
यस्यान्तं न विदुः सुरासुरगणाः देवाय तस्मै नमः ||१||

ॐ आदित्याय नमः  
मूर्तित्वे परिकल्पितः शश भृतो वर्मापुनर्जन्मना 
मात्मेत्यात्म विदां क्रतुश्च यजतां भर्तामर ज्योतिषाम् |  
लोकानां प्रलयोद्भवस्थिति विभुः चानेकधायः श्रुतौ
वाचं नःसददात्वनेक किरणः त्रैलोक्यदीपो रविः ||२||

ॐ आदित्याय नमः  
भास्वान्काश्यपगोत्रजो रुणरुचिर्य: सिंहराशीश्वरः 
षट्विस्थो दश शोभनोगुरुशशी भौमेषु मित्रं सदा।
शुक्रो मन्दरिपुकलिंगजनितः चाग्नीश्वरो देवते 
मध्ये वर्तुलपूर्वदिग्दिनकर: कुर्यात् सदा मंगलम्।।३।।  

सूर्य उपासना प्रात: स्मरण

सूर्य उपासना प्रात: स्मरण।

प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यम
रूपं हि मण्डल मृचोऽथ तनुर्यजूंषि |  
सामानि यस्य किरणा: प्रभवादि हेतुं ब्रम्हाहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम || १ ||

प्रातर्नमामी तरणिम तनुवांगमनोभि:  
ब्रम्हेन्द्रपूर्वकसुरैर्नुतमर्चितं च।  
वृष्टि-प्रमोचनविनी-गृहहेतुभूतं 
त्रैलोक्यपालनपरं त्रिगुणात्मकं च || २||

प्रातर्भजामी सवितारमनन्तशक्तिं 
पापौघशत्रुभयरोगहरं परं च |  
तं सर्वलोककल्नात्मककालमूर्तिं 
गोकंठबंधन विमोचनमादीदेवम || ३ ||  

सूर्य उपासना के स्मरण, ध्यान, अर्घ्य, क्षमा प्रार्थना, आह्वाहन मंत्र

यावच्चंद्रदिवाकरो लृ

सूर्य उपासना स्मरण, ध्यान, अर्घ्य च क्षमा प्रार्थनामंत्र, आह्वाहन

July 05, 2021

सूर्य उपासना प्रात: स्मरण।

प्रात: स्मरामि खलु तत्सवितुर्वरेण्यम
रूपं हि मण्डल मृचोऽथ तनुर्यजूंषि |  
सामानि यस्य किरणा: प्रभवादि हेतुं ब्रम्हाहरात्मकमलक्ष्यमचिन्त्यरूपम || १ ||

प्रातर्नमामी तरणिम तनुवांगमनोभि:  
ब्रम्हेन्द्रपूर्वकसुरैर्नुतमर्चितं च।  
वृष्टि-प्रमोचनविनी-गृहहेतुभूतं 
त्रैलोक्यपालनपरं त्रिगुणात्मकं च || २||

प्रातर्भजामी सवितारमनन्तशक्तिं 
पापौघशत्रुभयरोगहरं परं च |  
तं सर्वलोककल्नात्मककालमूर्तिं 
गोकंठबंधन विमोचनमादीदेवम || ३ ||  
  
  
  

सूर्य उपासना ध्यान मंत्र

ॐ आदित्याय नमः  
यं ब्रह्मावरुणेन्द्ररुद्रमरुतः स्तुन्वन्ति दिव्यैः स्तवैर्वेदैः 
साङ्गपदक्रमोपनिषदैर्गायन्ति यं सामगाः।।  
ध्यानावस्थिततद्गतेन मनसा पश्यन्ति यं योगिनो
यस्यान्तं न विदुः सुरासुरगणाः देवाय तस्मै नमः ||१||

ॐ आदित्याय नमः  
मूर्तित्वे परिकल्पितः शश भृतो वर्मापुनर्जन्मना 
मात्मेत्यात्म विदां क्रतुश्च यजतां भर्तामर ज्योतिषाम् |  
लोकानां प्रलयोद्भवस्थिति विभुः चानेकधायः श्रुतौ
वाचं नःसददात्वनेक किरणः त्रैलोक्यदीपो रविः ||२||

ॐ आदित्याय नमः  
भास्वान्काश्यपगोत्रजो रुणरुचिर्य: सिंहराशीश्वरः 
षट्विस्थो दश शोभनोगुरुशशी भौमेषु मित्रं सदा।
शुक्रो मन्दरिपुकलिंगजनितः चाग्नीश्वरो देवते 
मध्ये वर्तुलपूर्वदिग्दिनकर: कुर्यात् सदा मंगलम्।।३।।  
  

सूर्य उपासना अर्घ्य मंत्र

एहि सूर्य ! सहस्त्रांशो ! तेजोराशे ! जगत्पते |  
अनुकम्पय मां भक्त्या गृहाणायँ नमोस्तुते ||

तापत्रयहरं दिव्यं परमानन्दलक्षणम् |  
तापत्रयविमोक्षाय तवायँ कल्प्याम्यहम् ||

नमो भगवते तुभ्यं नमस्ते जातवेदसे |  
दत्तमर्घ्य मया भानो ! त्वं गृहाण नमोस्तुते ||

अर्घ्यं गृहाण देवेश गन्धपुष्पाक्षतैः सह ।  
करुणां कुरु मे देव गृहाणायँ नमोस्तुते ||

नमोस्तु सूर्याय सहस्त्रभानवे नमोस्तु वैश्वानर- जातवेदसे |  
त्वमेव चार्घ्य प्रतिगृह्ण देव ! देवाधिदेवाय नमो नमस्ते ||  
  

सूर्य उपासना क्षमा प्रार्थना

उपसन्न्स्य दीनस्य प्रायश्चित्तकृताञ्जले: |  
शरणं च प्रपन्नस्य कुरुष्वाद्य दयां प्रभो ||

परत्र भयभीतस्य भग्नखंडव्रतस्य च |  
कुरु प्रसादं सम्पूर्णं व्रतं सम्पूर्णमस्तु में ||

यज्ञच्छीद्रम तपश्छिद्रं यच्छीद्रम पूजने मम |  
तत्सर्वमच्छीद्रमस्तु भास्करस्य प्रसादतः ||

सूर्य आह्वाहन मंत्र उपासना

त्वं भानो जगतश्चक्षु स्त्वमात्मा सर्व देहिनाम् |
त्वं योनिः सर्वभूतानां त्वमाचार: क्रियावताम् ||

त्वं गति: सर्वसांख्यानां योगिनां त्वं परायणम् |
अनावृतार्गलद्वारं त्वं गतिस्त्वं मुमुक्षताम् ||

त्वया संधार्यते लोकस्त्वया लोक: प्रकाश्यते |
त्वया पवित्री क्रियते निर्व्याजं पाल्यते त्वया ||

मनूनां मनुपुत्राणां जगतो मानवस्य च |
मन्वन्तराणां सर्वेषामीश्वराणां त्वमीश्वरः ।।

ज्योतींषित्वयि सर्वाणी त्वं सर्व ज्योतिषां पति: |
त्वयि सत्यं च सत्त्वं च सर्वे भावाश्च सात्त्विका: ||

आवाह्येतं द्विभुजं दिनेशं सप्ताश्ववाहं धुमणिं ग्रहेषम |
सिन्दूरवर्णप्रतिमावभासं भजामि सूर्य कुलवृद्धिहेतोः ॥

जिगरम जयगिष्य जिगर:

जय हिन्द च जय गुरुदेव दत्तात्रेय च जय हिन्द

Thursday, 11 February 2021

Who decide others as children

Who decide others as children January 24, 2021 My self has I think big question that who decide other person as CHILD or children??? Sharing personal experience in spiritual way feelings... In spiritual way of journey always a person child but who received children protocol and which way, is more important to understand as other self is child front of me or us... I believe that children has ma, MAA, mu, am, ha, like alphabet and the whole beej mantra are behind that with Devi bhagvat but the decision as in practical Life as "That is or This is child" is unique sentence and who is giving the same is more important rather than finding original parent ... Once I seen Mahesh bhatt directed film which has puja bhatt and Manoj bajpai with main leading role of transgender done by Paresh Rawal made act... Duly named... Tamanna... Story plot of Tamanna The year is 1975, the place is Maahim, Bombay. This is the story of Tikku (Paresh Rawal), a transgender and the only child of yesteryear Bollywood actress Nazneen Begum. Begum has fallen upon hard times, is virtually destitute, and is dependent on Tikku, who does make-up/hair-dressing of Bollywood actresses. When she passes away, Tikku is beside himself with grief. After the funeral, he witnesses a woman leaving a child in a garbage bin. Tikku picks up the girl, longing for human company, decides to keep her, names her Tamanna, and brings her up on his own with the help of a close friend, Saleem (Manoj Bajpayee). When she is old enough, he arranges for her education in St. Mary's High School's hostel. When she completes school, she returns home to find Tikku in the guise of a hijra and shuns him, but subsequently relents. Then Tikku finds out that Tamanna (Pooja Bhatt) is the daughter of Ranvir Chopra, an up-and-coming politician. He tells her, and she goes to their palatial house. Watch what impact this has on the Chopra family and the excuse they have for abandoning Tamanna. ------ Children are always very easy but when few efforts like the word "It is mine and that is your" kind information got by them, automatically themselves consider as practical Life sciences knowledge... Once I have few story line sentence Which are as mentioned here under.. Begani shadi me ubdullhaa diwana Words are probably not suitable but my point of view sentences are mostly solve if we can read yajurvediya purushsukt... After Madhu chhandaa rule the rushi making chayan of Agni and than after recognise the home for the boy who will be known as father's name along with gotra and more information as known as Brahman... little odd but true... But the process time are When recognise factor complete the boy learning or while recognising and learning the same should be done is different but that time the rushi established the boy or girl as CHILD or children... Here I must put few words for lord krushna... He mostly given importance level about the milk's fourth substances level known as MAAKKHAN... Milk to curd to butter milk to butter... The third substances level of milk is not butter milk but it is Ghee Milk to malai to ghee... Little odd but true... Butter or makkhan is so far from milk but the malai is constantly attached with the milk is mostly giving instant relief in human acidity... Mean inner fire which is probably attached with universal fire or nebula or galaxy's stars fire... Jay Gurudev Dattatreya I mostly do not saying more about me but when I was child, at my own home my grandfather means dada did Satya Narayan Katha.. my grandmother did Dattatreya paath and bhagvat paath, myother did Gayatri path... Me too did only Ganesh mantra and Gayatri path ... BUT after sometime when dada was more with us I used to move only at temple and feel the drum and bell energy while Aarti time ... After my dadi passed away and mean time get married with vaibhavi named wife. I mostly forgot to do all religious kind sencs and did job and sleeping and got new born baby duly named Dwija and her name was confirmed by my sister in law.. now a days I am doing online dattbaawani path regular without fixed any place.. Then 13 years means 2000 to 2013 years I did job but mean time HEAVY COSTS paid ... Well forget it but mean time ie 2013 to still 2021, I as myself considering as CHILD in front of so many rushi MAA... And somehow wrote so many things in blogs and in notebook and loose papers by different PEN... I confirmed with due respect that I really doing pranaam to all THOSE people who gave and giving me sadbuddhi / Good knowledge of Vivek karma Recent days, since about 10 years I have not life as earning financial part but I hope I getting blessings from so many ways... From so many people... My whole life style changed and now sometime people worries for me as what he, mean I, mean myself will do next or what I will say but my surrounding people given me very happiness kind words to me and towards from other as third party person... Specifically GANDO and Problem with psychological way... Sometimes I made smile sometimes getting anger on my personal relatives... In my case I can not established my own daughter as child .. why ... because not earning but writing only... No one consider my words as a MATURE person but whisper way giving "Thanks" and ran out so far instant way without talking to me... I wrote these but my sister in law payal was talked with my mother in law by video call... Just writing facts I have still question for other as how could I consider them as children when their whisper words are having difficulty and different kind meaning show me certainly... Well god is great... Kittam kittu kittaha Anyway my pappa's few said words are still remember me but I praying to mother / Rushi MAA that the process of fine judgment of saying other as children or child is very unique sentence knowledge will be given by them to me... Shree Satyanaraayan Dev Vijayate JAY Gurudev Dattatreya Jay Hind JIGAR JAIGISHYA
see Indian labour doing work on wall's glass window outer side for making cleaning as it is well known hospital.. worker doing work from top to bottom phased ninth floor.. Today's photo from Thaltej, Ahmedabad JIGAR/JAIGISHYA

Indian 2021 '22 Budget without procurement

Budget without procurement February 02, 2021 My point of views on budget are .... http://aalubhaan.blogspot.com/2021/01/budgeting-2021-22.html See the last five years percentage based ruppees distribution and earning side as per PIB and other news papers....is 2016 to 2021 '22.. this is Excel sheet photo by mobile... When India at 2018 end time, got GST structure... So many changes done on tax reform... We can see that in sheets And other few points are ... For developing expensive things by making new States of India... Have a look ... In November 2000, three new states were created; namely, Chhattisgarh from eastern Madhya Pradesh, Uttaranchal from northwest Uttar Pradesh (renamed Uttarakhand in 2007) and Jharkhand from southern districts of Bihar with the enforcement of such act Telangana was created on 2 June 2014 as ten former districts of north western Andhra Pradesh. In August 2019, the Parliament of India passed the Jammu and Kashmir reorganisation Act, 2019, which contains provisions to reorganise the state of Jammu and Kashmir into two union territories; Jammu and Kashmir and Ladakh, effective from 31 October 2019. These all are related to making big expensive part of criteria in budget 2021 '22... Chhattisgarh, Uttarakhand, Jharkhand, Telangana, all are cumulative way increased the government expenses... They all are having inside way very lower progressive based infrastructure and services excluding few parts of that side core in building nation... This is a list of Indian state budgets as enacted by the state legislatures for the upcoming fiscal year. Expenditure State Budget (in crorerupees) FY Reference Andhra Pradesh 2,24,789 2020–21 [1] Arunachal Pradesh 19,261 2018–19 [2] Assam 99,419 2019–20 [3] Bihar 2,11,761 2020–21 [4] Chhattisgarh 95,650 2020–21 [5] Delhi 65,000 2020-21 Highlights of Delhi Budget 2020-21 Goa 21,056 2020–21 [6] Gujarat 2,17,287 2020–21 [7] Haryana 1,42,343 2020–21 [8] Himachal Pradesh 49,131 2020–21 [9] Jammu and Kashmir 95,666 2018–19 [10] Jharkhand 85,429 2019–20 [11] Karnataka 2,37,893 2020–21 [12] Kerala 1,44,265 2020–21 [13] Madhya Pradesh 1,86,865 2018–19 [14] Maharashtra 4,04,794 2019–20 [15] Manipur 13,731 2018–19 [16] Meghalaya TBA 2020–21 Mizoram 9,492 2018–19 [17] Nagaland TBA 2020–21 Odisha 1,50,000 2020–21 [18] Puducherry TBA 2020–21 Punjab 1,54,805 2020–21 [19] Rajasthan 2,25,731 2020–21 [20] Sikkim 7,051 2018–19 [21] Tamil Nadu 3,00,390 2020–21 [22] Telangana 1,82,914 2020–21 [23] Tripura TBA 2020–21 Uttarakhand 53,526 2020–21 [24] Uttar Pradesh 5,12,860 2020–21 [25] West Bengal 2,55,677 2020–21 [26] Total. 4,166,750/- lakh caror ruppees as expenditure Data as per 2019, 2020 based details from Wikipedia Total expenditure in 2020-21 is expected to be Rs 30,42,230 crore, which is 12.7% higher than the revised estimate of 2019-20. This time budget planning on 34.83 lakh carpe amount ... But really needed 41.66 lakh caror Approximately 17 percentage more needed but on papers we are showing on 12 percentage based formula than still 5 percentage are hidden way must be needed but we can't showing that as the RBI and other policies based papers having only capacity of 12%. ... Or ... Maybe on the paper's black alphabet has only producing hidden soft conditions as according to present scenario... Union budget planning has such value... I believe but the ratio of individual expenses and Union expenses should have not mir distance or should not having different of far amount based structure... As the budget word is belonging to expenditure only... Union budget using this time 16% for state development, but the ratio is cut from 24% to 16% is maybe good but or than why still every year the ratio is ridiculous way rising??? While no need of further new state making .... This could be considered as ... Previously A family has 100 rs expenses Than 29 part made of same family and each family's cumulative amount has more expensive figure erged by each person and the expenditure amount is higher than 100 ... Than how could you earning more or what you could earned before for next budget planning... If We can consider the ratio as 1:2 than the expenses should be double for each and individual states... I believe earning factor and expenses factor are different of each and every individual family but the cumulative which was or which is counted by central ministry should be has in such level based amount for better understanding of further process or procurement... If you are head of the family and other all as each other are earning in capacity based structure of income and still giving more expenses amount on papers than the family head must think on such point of view as i have 100 and smaller other giving me 200 than where is my income from at least 10% gone or going on???? RBI in such cases helping running government as giving that 10% saved amount for boost up nation economic development... But that is not liable as that is our fund from which we can get international high standard... For our own currencies international growth level... If reserved funds used for country people is good but there should be successful such guide line having with us is more important and for that India needs Procurement policies or department... When the government making donation head than why not making procurement head??? Procurement means saved amount plus another surplus amount for further procedure of same head or title... Once I wrote on same topic..in 2017... https://jaigishya.blogspot.com/search?q=Procurement&m=1 We had faced so many bad time real story but if avoiding penalties in future than need development from based structure of state level... Nothing to discuss on other points but need better than best procurement management... Than we can consider the disbursement of RBI's reserved funds for country people... Jay Gurudev Dattatreya Jay Hind JIGAR / JAIGISHYA See few other records based information about India and it's budget head...

Procurement For Indian budget

Procurement For Indian budget February 10, 2021 Simple rule of any company, if assets are growing, business is growing..and company values are incredibly increasing in market... progressive work know by other as salary increment... Isn't true??? But India is so far from same, excluding all MLAs and government officials... Why India suffering from international currencies lower standard is bigger question for / to me ... Proposed budget plan for 2018-19 India's government wanted to transfer 21.57 lakh crore (net of GST compensation transfers to theStates) as against the BudgetEstimates of Rs. 21.47 lakh crore. Continuing Government's path of fiscal reduction and consolidation, the Finance Minister projected a Fiscal Deficit of 3.3% of GDP for the year 2018-19... But Actually Expenditure he made actually transfered the amount as per chart one... Is 26.20 lakh coror for 2018-19... Proposed budget plan for 2020-21 Transfer to states: The central government transfered Rs 13,29,428 crore to states and union territories in 2019-20. Actually Expenditure But done the actual expenditure is in ruppees.. 29.39/- lakh coror... Proposed budget plan for 2020-21 The central government wanted to transfer Rs 13,90,666 crore to states and union territories in 2020-21. Actually Expenditure: The government proposes to spend Rs 30,42,230 crore in 2020-21, which is 12.7% higher than the revised estimate of 2019-20. Receipts: The receipts (other than net borrowings) areexpected to increase by 16.3% to Rs 22,45,893 crore, owing to higherestimated revenue from disinvestments. See always on practical ways we mean our Indian government whatever wanted to tran6 the fund is constantly getting higher side... And on practical ways transfered amount is very highly higher as we can see in chart 1... Means it is all not as per budget planning...
Why always India and Indian people understand the word Fiscal Deficit??? Meaning of words are... Fiscal deficit, the condition when the expenditure of the government exceeds its revenue in a year, is the difference between the two. Fiscal deficit is calculated both in absolute terms and as a percentage of the country's gross domestic product (GDP). See the chart, which shows early years wrong calculation information... Why I love procurement... Procurement is the act of obtaining goods or services, typically for business purposes. ... Procurementgenerally refers to the final act of purchasing but it can also include the procurement process overall which can be critically important for companies leading up to their final purchasing decision. Hindi meaning of procurement प्रोक्योरमेंट सामान या सेवाओं को प्राप्त करने का कार्य है, आमतौर पर व्यावसायिक उद्देश्यों के लिए। ... खरीद आम तौर पर खरीद के अंतिम अधिनियम को संदर्भित करता है, लेकिन इसमें समग्र रूप से खरीद प्रक्रिया भी शामिल हो सकती है, जो कि उनके अंतिम "क्रय" निर्णय के लिए अग्रणी कंपनियों के लिए गंभीर रूप से महत्वपूर्ण हो सकती है। The "kraya nirnay" mean you know the amount which definitely comes to you next time and making proposal for sure planning on such cases as more than that... My once old boss Mr O P Sharma was once GM in Go airways flight company and his position was General Manager, Administration and Procurement Previously we both worked jointly for M/s Rasna Pvt ltd... With different designation same department... Well Australia is big country and it's having it's own department on procurement... See the link... https://www.finance.gov.au/government/procurement This time Indian government produced Union budget of 2021-22, transfer proposes planning on such case as per the chart but I am sure the amount will go on higher side this time too.. in next coming months... That is why I love the word... ... "Procurement"... India why not showing those all assets which are usually rising up several times nation wide...??? And if assets are not increasing than why or what need of budget planning??? And if prior budget always getting lesser amount for Union Territory and giving fiscal deficit every year, than why don't accept that need procurement needed as present time essential and important part of financial services and ministry of India...!!! Even more they still not reducing salary of MLA and other government officials who mostly interupting parliament work??? And even more mostly all are having private business too!!!! Jay Gurudev Dattatreya Jay Hind JIGAR / JAIGISHYA

Saturday, 23 January 2021

Calvin Kelvin

आग, प्लाज्मा और रसायनों या जो कुछ भी, के बारे में अलग-अलग विवरण देते हुए, बस गर्म हवा है। एक दिए गए दबाव के लिए आदर्श गैस कानून कहता है कि केल्विन में एक गैस का घनत्व तापमान के विपरीत होता है। आप इस तथ्य का उपयोग कर सकते हैं, हवा का तापमान और घनत्व (300 ° K 1.3 किग्रा / मी 3), और आग के घनत्व को खोजने के लिए आपके औसत रन-ऑफ-द-मिल खुली लौ (लगभग 1300 ° K) का तापमान।

अधिकांश "रोज़" आग के लिए, लौ में गैस का घनत्व हवा का घनत्व लगभग 1/4 होगा। इसलिए, चूंकि हवा (समुद्र तल पर) का वजन लगभग 1.3 किलोग्राम प्रति घन मीटर (1.3 ग्राम प्रति लीटर) है, आग का वजन लगभग 0.3 किलोग्राम प्रति घन मीटर है।

एक पाउंड की साधारण आग, यहाँ पृथ्वी पर समुद्र तल के पास, क्यूब को लगभग 1.2 मीटर तक ले जाएगी। आग हमेशा ऊपर की ओर बहती है इसका कारण यह है कि इसका घनत्व हवा की तुलना में कम है। तो, आग हवा में उसी कारण से उठती है, जिससे पानी में बुलबुले उठते हैं: यह भयावह है। उद्यमी व्यक्ति कभी-कभी उस तथ्य का लाभ भी उठाते हैं।

एक पुरानी "थ्योरी" थी जिसे फ्लॉजिस्टन कहा जाता था, जो कि "मटेरियल" था जो कि आग लगने पर जारी किया गया था। एंटोनी लावेस्सियर ने सब कुछ इकट्ठा करके फोग्लिस्टन के अस्तित्व को भंग कर दिया - राख, धुआं और मलबे, और साबित कर दिया कि इसका वजन कम नहीं था, लेकिन मूल असंतुलित लकड़ी की तुलना में अधिक। इसलिए ADDED को कुछ जलाना, और Lavoisier ने साबित किया कि यह प्रीस्टली गैस, ऑक्सीजन था।

तो ईंधन + ऑक्सीजन = आग + राख। लपटें ईंधन के साथ मिलकर वायुमंडल से ऑक्सीजन की रासायनिक प्रतिक्रिया होती हैं। लपटें भौतिक नहीं बल्कि ऊर्जा हैं।

ऑक्सीजन के अभाव में कुछ भी नहीं जलेगा। ऑक्सीजन के अलावा अन्य ऑक्सीडाइज़र भी हैं, लेकिन ऑक्सीजन अब तक सबसे आम है। 

अंतरिक्ष में आपको ईंधन और ऑक्सीडाइज़र दोनों को ले जाना चाहिए, उन्हें अलग रखना चाहिए, और जब आप एक प्रतिक्रिया चाहते हैं तो उन्हें मिलाएं। ईंधन + ऑक्सीकारक = आग + निकास।

चूंकि आप बोतल में आग नहीं लगा सकते, इसलिए मैं कहता हूं कि नहीं, आग का कोई वजन नहीं है

but as per thermodinemix rule the basic unit is belong to calvin and main function of thermodinemix is entropy whihc is mostly constant and it is in futer always increasing but you cant decreasing it... and it unit is calvin i like the wrist watch of calvin clain... jay gurudev dattatreya jay hind jigar jaigishya

Purush Sukta with variation of words as per rucha number

 These are all about Purush Sukt which are as mentioned in three veda and few words differences matter attract to write me... have a look three veda's three types Prusush sukt at a glance...


Atharva Vedic 19, 6 sukt 15 rucha

सहस्रबाहुः पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात्।               sahastra bahu     
स भूमि विश्वतो वृत्वात्यतिष्ठद्दशाङ्गुलम् ॥१॥        vishvato    
त्रिभिः पद्भिामरोहत्पादस्येहाभवत्पुनः । 
तथा व्यक्रामद्विष्वङशनानशने अनु ॥२॥
तावन्तो अस्य महिमानस्ततो ज्यायांश्च पूरुषः ।
पादोऽस्य विश्वा भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि ॥३॥
पुरुष एवेदं सर्वं यद्भूतं यच्च भाव्यम् ।              YachchBHAAVYAM
उतामृतत्वस्येश्वरो यदन्येनाभवत्सह ॥४॥
यत्पुरुषं व्यदधुः कतिधा व्यकल्पयन् । 
मुखं किमस्य किं बाहू किमूरू पादा उच्यते ॥५॥
ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद्बाहू राजन्योऽभवत्। 
मध्यं तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत ॥६॥
चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत ।
मुखादिन्द्रश्चाग्निश्च प्राणाद्वायुरजायत ।।७।।
नाभ्या आसीदन्तरिक्षं शीर्णो द्यौः समवर्तत । 
पद्भ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्रात्तथा लोकामकल्पयन् ॥८॥
विराडग्रे समभवद्विराजो अधि पूरुषः । 
स जातो अत्यरिच्यत पश्चाद्भूमिमथो पुरः ॥९॥
यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत । 
वसन्तो अस्यासीदाज्यं ग्रीष्म इध्मः शरद्धविः ॥१०॥
तं यज्ञं प्रावृषा प्रौक्षन् पुरुषं जातमग्रशः । 
तेन देवा अयजन्त साध्या वसवश्च ये ॥११॥
तस्मादश्वा अजायन्त ये च के चोभयादतः । 
गावो ह जज्ञिरे तस्मात्तस्माज्जाता अजावयः ॥१२॥
तस्माद्यज्ञात्सर्वहुत ऋचः सामानि जज्ञिरे । 
छन्दो ह जज्ञिरे तस्माद्यजुस्तस्मादजायत ॥१३॥
तस्माद्यज्ञात्सर्वहुतः संभृतं पृषदाज्यम् । 
पशुंस्तांश्चक्रे वायव्यान् आरण्या ग्राम्याश्च ये ॥१४॥
सप्तास्यासन् परिधयस्त्रिः सप्त समिधः कृताः । 
देवा यद्यज्ञं तन्वाना अबध्नन् पुरुष पशुम् ॥१५॥
मूर्जो देवस्य बृहतो अंशवः सप्त सप्ततीः । 
राज्ञः सोमस्याजायन्त जातस्य पुरुषादधि ॥१६॥


Rugvediya 10, 90

सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात् ।            sahstra shirsha    
स भूमि विश्वतो वृत्वात्यतिष्ठद्दशाङ्गुलम्॥१॥      vishwato vrutva
पुरुष एवेदं सर्वं यद्भूतं यच्च भव्यम् ।                 yachch Bhavyam
उतामृतत्वस्येशानो यदन्नेनातिरोहति॥२॥
एतावानस्य महिमातो ज्यायाढ्त्श्च पूरुषः । 
पादोऽस्य विश्वा भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि॥३॥
त्रिपादूर्ध्व उदैत्पुरुषः पादोऽस्येहाभवत्पुनः । 
ततो विष्वव्यक्रामत्साशनानशने अभि॥४॥
तस्माद्विराळजायत विराजो अधि पूरुषः । 
स जातो अत्यरिच्यत पश्चाद्भूमिमथो पुरः॥५॥     
यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत । 
वसन्तो अस्यासीदाज्यं ग्रीष्म इध्मः शरद्धविः॥६॥
तं यज्ञं बर्हिषि प्रौक्षन्पुरुषं जातमग्रतः । 
तेन देवा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये॥७॥
तस्माद्यज्ञात्सर्वहुतः सम्भृतं पृषदाज्यम् ।
पशून्ताढ्त्श्चक्रे वायव्यानारण्यान्ग्राम्याश्च ये॥८॥
तस्माद्यज्ञात्सर्वहुत ऋचः सामानि जज्ञिरे । 
छन्दांसि जज्ञिरे तस्माद्यजुस्तस्मादजायत॥९॥
तस्मादश्वा अजायन्त ये के चोभयादतः । 
गावो ह जज्ञिरे तस्मात्तस्माज्जाता अजावयः॥१०॥
यत्पुरुषं व्यदधुः कतिधा व्यकल्पयन् । 
मुखं किमस्य कौ बाहू का ऊरू पादा उच्यते॥११॥
ब्राह्मणोऽस्य मुखमासीद्बाहू राजन्यः कृतः । 
ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत॥१२॥
चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत ।
मुखादिन्द्रश्चाग्निश्च प्राणाद्वायुरजायत॥१३॥
नाभ्या आसीदन्तरिक्षं शीर्णो द्यौः समवर्तत । 
पद्भ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्रात्तथा लोकाँ अकल्पयन्॥१४॥
सप्तास्यासन्परिधयस्त्रिः सप्त समिधः कृताः । 
देवा यद्यज्ञं तन्वाना अबध्नन्पुरुषं पशुम्॥१५॥
यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन्। 
ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः॥१६॥


Yajurvediya 31, first 16 out of 22 

सहस्रशीर्षा पुरुषः सहस्राक्षः सहस्रपात् ।                 sahastra shrisha  
स भूमि सर्वतस्पृत्वात्यतिष्ठद्दशाङ्गुलम् ॥१॥            sarvata sprutwa 
पुरुष एवेदँ सर्वं यद्भूतं यच्च भाव्यम् ।                    Yachch BhAAvyam
उतामृतत्वस्येशानो यदन्नेनातिरोहति ॥२॥
एतावानस्य महिमातो ज्यायाँश्च पूरुषः । 
पादो स्य विश्वा भूतानि त्रिपादस्यामृतं दिवि ॥३॥
त्रिपादूर्ध्व उऐत्पुरुषः पादो स्येहाभवत्पुनः । 
ततो विष्वव्यक्रामत्साशनानशने अभि ॥४॥
तस्माद्विराडजायत विराजो अधि पूरुषः । 
स जातो अत्यरिच्यत पश्चाद्भूमिमथो पुरः ॥५॥
तस्माद्यज्ञात्सर्वहुतः सम्भृतं पृषदाज्यम् । 
परा॒स्ताँश्चक्रे वायव्यानारण्या ग्राम्याश्च ये ॥६॥
तस्माद्यज्ञात्सर्वहुत ऋचः सामानि जज्ञिरे । 
छन्दांसि जज्ञिरे तस्माद्यजुस्तस्मादजायत ॥७॥
तस्मादश्वा अजायन्त ये के चोभयादतः । 
गावो ह जज्ञिरे तस्मात्तस्माज्जाता अजावयः ॥८॥
तं यज्ञं बर्हिषि प्रौक्षन्पुरुषं जातमग्रतः । 
तेन देवा अयजन्त साध्या ऋषयश्चये ॥९॥
यत्पुरुषं व्यदधुः कतिधा व्यकल्पयन् । 
मुखं किमस्य कौ बाहू का ऊरू पादा उच्यते ॥१०॥
ब्राह्मणो स्य मुखमासीद्बाहू राजन्यः कृतः । 
ऊरू तदस्य यद्वैश्यः पद्भ्याँ शूद्रो अजायत ॥११॥
चन्द्रमा मनसो जातश्चक्षोः सूर्यो अजायत । 
श्रोत्राद्वायुश्च प्राणश्च मुखादग्निरजायत ।।१२।।
नाभ्या आसीदन्तरिक्ष शीर्णो द्यौः समवर्तत । 
पद्भ्यां भूमिर्दिशः श्रोत्रात्तथा लोकाँ अकल्पयन् ॥१३॥
यत्पुरुषेण हविषा देवा यज्ञमतन्वत । 
वसन्तो स्यासीदाज्यं ग्रीष्म इध्मः शरद्धविः ॥१४॥
सप्तास्यासन्परिधयस्त्रिः सप्त समिधः कृताः । 
देवा यद्यज्ञं तन्वाना अबध्नन्पुरुषं पशुम् ॥१५॥
यज्ञेन यज्ञमयजन्त देवास्तानि धर्माणि प्रथमान्यासन् ।
ते ह नाकं महिमानः सचन्त यत्र पूर्वे साध्याः सन्ति देवाः॥१६॥
अद्भ्यः सम्भृतः पृथिव्यै रसाच्च विश्वकर्मणः समवर्तताग्रे । 
तस्य त्वष्टा विदधद्रूपमेति तन्मर्त्यस्य देवत्वमाजानमग्रे ॥१७॥
वेदाहमेतं पुरुषं महान्तमादित्यवर्णं तमसः परस्तात् ।
तमेव विदित्वाति मृत्युमेति नान्यः पन्था विद्यते यनाय॥१८॥
प्रजापतिश्चरति गर्भे अन्तरजायमानो बहुधा वि जायते।
तस्य योनि परि पश्यन्ति धीरास्तस्मिन्ह तस्थुर्भुवनानि विश्वा ॥१९॥
यो देवेभ्य आतपति यो देवानां पुरोहितः । 
पूर्वो यो देवेभ्यो जातो नमो रुचाय ब्राह्मये ॥२०॥
रुचं ब्राम्यं जनयन्तो देवा अग्रे तदब्रुवन् । 
यस्त्वैवं ब्राह्मणो विद्यात्तस्य देवा असन्वशे ॥२१॥
श्रीश्च ते लक्ष्मीश्च पत्न्यावहोरात्रे पार्श्वे नक्षत्राणि रूपमश्विनौ व्यात्ताम् । 
इष्णन्निषाणामुंम इषाण सर्वलोकं म इषाण ॥२२॥



Rugved has few similer shloks or rucha about purushsukt with yajurvediy shlok or mantra... we can see or read here by the number as according

Rugved          06, 07, 08, 09, 10, 11, 12, 13, 14, 15, 16
Yajurved        14, 09, 06, 07, 08, 09, 10, 11, 12, 13, 15


the main difference of words are TATO and TASMAAT


Wednesday, 20 January 2021

Is spiritual senses needs dance steps

HEALING OF EARTH BY STAR'S GAS'S known as VIBHANJAN PROCESS but by that we can find the photon and quasers... And only distribution or distractions of permanu... And it's quantum...

SEA'S WATER HAS FENAM IN CURVE LINING... MOST EFFECT POINT... IN MY REGION WE ARE KNOWING AS Bharti and Ott.... Related to full moon days to without moon days period... Means Putnam to amass or amaavasyaa...

There are so much stars in sky but why choose fixed for cluster and constellations by our older or very ancient peoples... What purpose behind same? Though the actual size of stars and boundaries are so far from each other...


Surprised for Not only for astrology or palmistry and NASA or ISRO type scientists...


Matter about still confusing when think 28 indian against 84 europian clusters and africa, maxico nad china has only GIZA's pyramid style only Orion?????? Thrice time!!!

.... knowledge or information... Nothing but for understanding bhuvaa's matter related to photon and quasars ...

I am thinking and focusing about weight of FIRE's one cell or fire flame in fixed criteria, which is true but forget the things about warm air circulation...

Mostly all stars having Vibhanjan process.. Distruction is english name of Vibhanjan... I dont know that which Vibhanjan giving maximum warm air with energy and we can get maximum gas structure of surrounding the planets or sky in either gravities or non gravity mode...

Earth Human population only facing covid 19 naval Corona as our sun's probably again passed from those places of galaxy where do many odd criteria function available which are distracted our sun's supporting system...

Fundamentals way we can understand that every small animal covering it's own area by fart... Sun given heavy energy but some how earth faced different types of Corona... And only human faced RT track system sickness... And even more so many died... Though the Australian and Brazilian fire happened and by that only harmness feel by animals and birds...

I also thinking on under mentioned subject for spiritual healing... And mainly for those condition, when one human getting trans mode for body and giving very true answer to peoples for their social problem... In gujarat region they know as MAATAAJEE KAA BHUVAA...

Is spiritual senses needs dance steps???

The answer is Both way Yes and No.. how???

See the link given below... about the religious Gurudev on dance steps...on stage... While lacture... See the YouTube video in given link...


video is for marketing purpose but the authenticity of the said point of dance is unique way true for whom... we can see...

Here by i am not wanted to saying that any person is wrong but the there are such fundamental unique mode in few cases and there are different of opinion by so many ways but according to me I preferred tribes and tribal's dance therapy, which is more suitable for any panch mahabhoot bodies, who are not aware of any magic of universal truth but even not preferred for ... 4, 3, 2, 1, 0 but preferably ...10, 9, 8, 7, 6, 5, 4, 3, 2, 1, 0 ... The navagvo and dashagvo elemental person who is moving forward for spiritual journey with not full but less substances of body, and this is related to not only after death process but running death or lethally blending active body's part... 

for that we need to understand the photon and quasars 

We can see HOW 





RECENT POSTS OF NASA PROVEN THAT WHOLE UNIVERS IS MOVING MEANS RUNNING SURROUNDING... in fixed route even with sun and nine planets... And I feel that henceforth writing words for our planetary systems sun matter about Corona as above

FOR MY THIS PURVADHARNAA, I HERE MENTIONING FEW POINT

VEDAS ARE 5000 YEARS OLDER according to scholars 

WE FOUND FEW SCULPTURE WHICH ARE MORE THAN 10000 TO 15000 YEARS OLDER...

TOPIC ABOUT KUMAREE KUNDUM CUT OUT FROM SHRILANKA SIDE... 

SWAHILI LANGUAGE IS DIFFERENT BUT IT's FEW SOCIAL ACTIVITIES ARE MATCH WITH TAMILNADU OR KERALA OR SOUTH INDIAN STRATEGIES... I READ IN BOOK... and even feel by the word JAAMBO specially for food eating style..

MOREOVER, STILL WE CAN FOUND FEW INCIDENTS ON EARTH WHCIH ARE UNIQUE WAY JOINTLY ATTACHED WITH ONE ANOTHER EPISODE WHICH IS DONE ELSE PLACE... LIKE CRUSHING MOUNTAIN PICK BY EARTHQUEKE, LANDSLIDING... 

SOMANY ARE THERE ... RECENTLY NATURE FACED CORONA VIRUS BUT AT BAIRUT AMONIUM BLAST DID SAFELY AND AFTER THAT WITHIN FEW DAYS THOUGH THE VACCIN CAME BUT THE POWER OF CORONA ARE GONE DOWN AUTOMETICALLY...

NOW THINK OF photon AND quasars....
in starting of 1900 the both things establish perfect way in scientists minds but the major practical seen by us in 2020 by corona but while in 1920 approximately we already faced the birdflue

here we have to know the word

Laser, Maser and quasar with PEN and Photon energy


see the video link for understanding the subject, though lady is moving on right for her deep sky theory but here our subject is DANCING



further see the second video for deep science about M-87 with light and darkness ... for understanding the extrct




WE ALL KNOW THAT THE ENTROPY IS CONSTANT. IT'S NEITHER COUNT LESS BUT IT IS ALWAYS GETTING HIGHER MODE ONLY ... AS IT IS THERMODINEMICS RULES...FOR ENERGY

FOR MORE UNDERSTANDING THE DANCING MODE OF ELECTRON WHICH are having -VE through the other energy outer the sphere and cameback to it own place..  The further energy has light mode and those are known as photon and now the energy starting its journey and when getting big darkness the on road, moving photons particle get the well and other are makeing road further for self and again started or running the journey without stopping...

The whole process is constant started since long... we know it is in 1900 but the practicle faced in 2020 by corona as the dark energy spread it's own particle and clashed with the sun's earth by birds and wind and water and fire and we people are understand that the corona is man made virus... but it is wrong basically it is the hibreed of birdflue.. made by natural sources... As according beyond STP level... 

STP means standard temperature and pressure

We know the vedic slogan that "JO pinde VAHI brahmande" generated more molecules of earth absorbed it by somehow and the virus spreads all over the world by the healing way... 

when so many healing mode done than the energy of earth flies high and clashed with the photon and our breathing which are RELATED TO EARTH'S ORBIT IS HELPING TO REDUCE IMUNE AND THE VIRUS CATCHES US.. 

BUT IF THE SAME IS THINK BY US DIFFERNT WAY THEN??

WE ALREADY KNOW THE SPACE DEBRIES AND OTHER NOTES in PRVIOUS BLOG.. NOW THE OUR SUN's CORONA  not making it's complete part as the debris are surrounding the earth.. and the other most important the indian chandraya callops on moon's pole as even the earth is also lossing it's own the oldest pole place now by 150 km /year ... and moving forward to siberia from canada... Even more earth facing ozone orbit's hole too and so many people facing sun burning and cases are still in medical examination...

little odd way the earth not getting the proper healing by the sun's corona and sun not saved his placed by his old fart and that galactic criteria absorption done by from different sun's hyper energy ... even the ozon layer also getting little thine by some how our own pollution mode.. we faced so many bad by the corona virus... 


The human bodies are also having same kind therory and needed healing for those who are making self alien mode... so many abduction are in my eyes and every second so many people and animal and birds are lost from the earth... front of me so many dogs are disappear from my eye sight..

some time i appreciate the movie GOD MUST BE CRAZY... All three parts...

The leader getting mode of dance and by dancing way we or the people who are on stage getting maximum healing for such little field force and this is may be not denied by any one... that dancing giving healing... in such cases...

Science student are knowing about frequency test Mattel's compound forceps theory... With rubber substance...

in hindi we are knowing the same as AANDOLIT PARMANU has much more energy and if someone know that how to control it, person can give maximum good and better and even best diversification mode to society but few getting it's bad profit...

here my theory has may be not proper words as i am not scientist but the original scientist can solve the future decade...

well have a happy moments..

Jay Gurudev Dattatreya

Jay Hind

Jigar  / Jaigishya  ...

Tuesday, 19 January 2021

ઋ નાનો ऋ મોટો





જય ગુરુદેવ દત્તાત્રેય

જય હિન્દ

જીગર મહેતા / જૈગીષ્ય

ઋ નાનો ऋ મોટો જાણતા પહેલા થોડી વિશિષ્ઠ વાત યાગ્યવલકય ના યજુર્વેદ પ્રમાણે જોવી જોઈએ...


શિવ એટલે પરબ્રહ્મ અને લિંગ એટલે ચિહન. તેથી શિવલિંગ એટલે પરબ્રહ્મનું ચિન્હ અથવા પ્રતીક.


કેટલાક વામણા અને દૃષ્ટિહીન વિદ્વાનોએ એવી વાત વહેતી મૂકી છે કે શિવલિંગ તે શિવ ના શિશ્નનું પ્રતીક છે. પરંતુ વહેતો મુકાયેલો આ વિચાર અનુચિત અને ત્યાજ્ય છે.


લિંગ પદનો અર્થ અહીં ચિહન છે અને શિશ્ન નથી જ.


વેદમાન્ય ભારતીય પરંપરામાં શિશ્નપૂજા કે યોનિપૂજાને કોઈ સ્થાન નથી. ભારતીય પ્રજાએ યોનિપૂજા કે શિશ્નપૂજાનો ક્યારેય સ્વીકાર કર્યો નથી. શિવપૂજા તો ભારતમાં સર્વમાન્ય, ગણમાન્ય અને સાર્વભૌમ ગણાય છે. આવી સાર્વભૌમ ધાર્મિક વિધિને શિશ્નપૂજા જેવું ગણબાહ્ય અને કુત્સિત સ્વરૂપ ગણવામાં આવે તે માત્ર ભૂલ જ નથી, પરંતુ અપરાધ પણ છે.


આપણા માટે આ સૂર્ય જેવું સ્પષ્ટ અને પહાડ જેવું નિશ્ચિત સત્ય છે કે શિવલિંગ પરબ્રહ્મ પરમાત્માનું પ્રતીક છે.


રુદ્ર એક એવા મહાસમર્થ દેવ છે, જે શત્રુને શમાવે છે, જે દોષને હણે છે, અને જે જગ્યા એ સ્તંભન થયું હોય તે અગ્નિ ધ્વજ ગણી આજુબાજુ ઇમારત ચની દો તો મંદિર તે પણ માંડ માંડ મન્દ્ ગતિ માં શરીર ની પ્રાપ્તિ એવો અર્થ છે જેને કાયા નો અગ્નિ કહે છે. એ પણ બ્રહ્મ સ્વરૂપે.


....યજુર્વેદ માં સોળમો અધ્યાય શત રુદ્ર નો છે...


આ રહસ્ય જાણવું જોઈએ.


ઋષિઓએ શતરુદ્ર યજન ના રહસ્યને રજૂ કર્યું છે.


આ શતરુદ્રીય તો રહસ્યવિદ્યા છે, ઉપનિષદ છે. સૌથી પ્રથમ પ્રજાપતિએ આ હોમનાં દર્શન કર્યા તેથી પ્રજાપતિને રુદ્રનો ભય લાગતો નથી.


આ શતરુદ્રીયમાં ત્રણ પ્રકારના હોય છે.


સાથળ સુધી પહોંચી શકે તેવા ભાગમાં ઊભા રહીને પહેલો હોમ કરવો. આ હોમ પૃથ્વીમાં વસતા રુદ્રદેવને શાંત કરે છે.


બીજો હોમ નાભિ સુધી પહોંચે એવા ખાડામાં ઊભા રહીને કરવામાં આવે છે. આ હોમ અંતરિક્ષમાં વસતા રુદ્રદેવને શાંત કરે છે.


ત્રીજો હોમ ચિબુક-દાઢી સુધી પહોંચે એવા ખાડામાં ઊભા રહીને કરવામાં આવે છે. આ હોમ સ્વર્ગમાં વસતા રુદ્રદેવને શાંત કરે છે.


આ ત્રણ સ્વરૂપના હોમથી ત્રણેય લોકમાં વસતા રુદ્રગણો અને રુદ્રદેવને શાંત કરવામાં આવે છે.


જે સમયે મહાવેદી પર ઇષ્ટિકાઓનાં ચયન થાય છે, તે જ સમયે અગ્નિ જન્મ ધારણ કરે છે. જન્મ ધારણ કરતાં જ અગ્નિ પોતાનો ભાગ ધારણ કરે છે. જેમ વાછરડુ જન્મે ને તરત જ તે ગાયના સ્તતનને ઇચ્છે છે, તેમ જ જન્મ ધારણ કરતાં જ અગ્નિ અધ્વર્યું અને યજમાન તરફ જુએ છે. તે વખતે ગૃહસ્થ શતરુદ્રીય હોમ કરે છે, તેમ તે અગ્નિને તેનો ભાગ આપીને શમાવે છે.


મહાવેદીનાં ચયન પૂરાં થયા પછી અગ્નિનો નવો જન્મ થાય છે. શતરુદ્રીય હોમ કર્યા પછી અગ્નિને બધા સંસ્કાર આપવામાં આવે છે. આ સંસ્કારોથી અગ્નિ સાક્ષાત્ રુદ્રદેવ બને છે.


બ્રહ્મવાદીઓ રૂદ્રના સ્વરૂપ વિશે એક કથા કહે છે વાયુપૂરાનમાં...


પ્રજાપતિ ના અંગો ઢીલા થતા સર્વ દેવો એમને છોડી ચાલ્યા તો માત્ર "મન્યુ" જ એમની પાસે રહ્યો. (અડધા મન નું યજન કરનાર) બ્રહ્મા ના આંસુથી મન્યું દેવ જે અંદર થી વિસ્તાર પામ્યા હતા તેઓ રુદ્ર (રઉદર) (થોડુક સમઝં માં ભારે છે પણ વેદિક ગૂઢાર્થ સમજાવવાની કોશિષ) એ સમગ્ર રુદ્ર ને સાહસ્ત્ર શિર, કવચ, આંખો હતી... વેદોમાં મન્યૂ એટલે બાળકનો ગુસ્સો કહેલ છે... દ્રૌપદી યુધિષ્ઠિર ને કતુવચન માં શું તમારા માં મન્યું નથી? એવા સવાલ પૂછે છે... ચર્ચા અલગ ઓછી અહી...


યજુર્વેદ ના  સોળમા અધ્યાયને શતશિર્શ રુદ્ર શમન હોમ પણ ખે છે.


શુક્લ યજુર્વેદ સંહિતાના મંત્રોમાંથી જ રુદ્રાષ્ટધ્યાયી બને છે. આપણી પરંપરામાં. કર્મકાંડ અને ઉપાસનામાં આ રાષ્ટ્રધ્યાયીનો અપરંપાર મહિમા છે.


રુદ્રાષ્ટધ્યાયીના પ્રથમ અધ્યાયમાં શિવસંકલ્પસૂક્ત છે.


દ્વિતીય અધ્યાયમાં પુરુષસૂક્ત છે.


તૃતીય અધ્યાય અપ્રતિરથ-સૂક્ત છે.


ચતુર્થ અધ્યાયમાં સપ્તદશ મંત્રો છે, જે મૈત્રસૂક્ત તરીકે પ્રસિદ્ધ છે.

રુદ્રાધ્યાયીના પાંચમા અધ્યાય તરીકે પ્રસ્તુત શત રુદ્રિય છે.

આ શતરુદ્રીય સૌથી વધુ મહત્ત્વપૂર્ણ છે.


'રુદ્રષ્ટાધ્યાયી'નો ષષ્ઠમ અધ્યાય ‘મહચ્છિ૨' તરીકે ઓળખાય છે. સુપ્રસિદ્ધ મહામૃત્યુંજય મંત્ર આ અધ્યાયમાં છે.


સપ્તમ અધ્યાયને “જટા' કહેવામાં આવે છે. ક્યાંક ક્યાંક સામવેદ માં પણ જટા પાઠ નો મહિમા છે જ... આ અધ્યાયના અમુક મંત્રો દ્વારા અત્યેષ્ટિ-ઠિયામાં ચિતાહોમમાં આહુતિઓ આપવામાં આવે છે, તેથી કેટલાક વિદ્વાનો અભિષેકમાં તે મંત્રોનો વિનિયોગ કરતા નથી.


'રુદ્રાષ્ટધ્યાયી'નો અષ્ટમ અર્થાત્ અંતિમ અધ્યાય ‘ચમકાધ્યાય' કહેવાય છે. આ અધ્યાયમાં કુલ ૨૯ મંત્રો છે. પ્રત્યેક મંત્રમાં ‘ચ'કાર અને ‘મે’નું બાહુલ્ય હોવાથી આ અધ્યાયને ચમકાધ્યાય કહેવામાં આવે છે.


આ અષ્ટમ ‘ચમકાધ્યાય'ના ઋષિ દેવ' સ્વયં છે અને દેવતા અગ્નિ છે. તેથી આ અધ્યાયને ‘અગ્નિદૈવત્ય' અથવા યજ્ઞદૈવત્ય’ માનવામાં આવે છે. આ અધ્યાયના


પ્રત્યેક મંત્રના અંતમાં "યજ્ઞેન કલ્પતામ" આ પદસમૂહ આવે છે.


'રુદ્રાષ્ટાધ્યાયી'ના ઉપસંહારમાં ‘ઋચમ વાચં  પ્રપદ્ય


ઈત્યાદિ ચોવીશ મંત્રો શાંતિ-અધ્યાયના રૂપમાં પ્રયુક્ત થાય છે  અને સ્વસ્તિપ્રાર્થના તરીકે પ્રયુક્ત થાય છે.


વિદ્વાનોની પરંપરા પ્રમાણે રુદ્રાષ્ટાધ્યાયી પંચમાધ્યાય-રુદ્રાધ્યાય અર્થાત્ ‘શતરુદ્રીય'નાં એકાદશ આવર્તન અને શેષ સાત અધ્યાયોના એક આવર્તનથી અભિષેક થાય તો એક ‘રુદ્ર’ કે ‘રુદ્રી' કહેવામાં આવે છે. આને જ ‘એકાદશિની' પણ કહેવામાં. આવે છે. એકાદશ રુદ્રીથી એક લઘુરુદ્ર અને એકાદશ લઘુરુદ્રથી એક મહારુદ્ર અને એકાદશ મહારુદ્રથી એક અતિરુદ્રનું અનુષ્ઠાન થાય છે. આ સર્વનાં અભિષેકાત્મક,.પાઠત્મક અને હોમાત્મક, એમ ત્રિવિધ વિધાન મળે છે.


આમ, રુદ્રાષ્ટધ્યાયી ખૂબ મૂલ્યવાન છે. પરંતુ તેમાં પણ શતરુદ્રીયનું મૂલ્ય તો અપ્રતિમ છે. મહીધર પોતાના ભાષ્યમાં ‘રુદ્ર’ શબ્દની વ્યાખ્યા ત્રણ રીતે સમજાવે છે


રુત્ = જે દુ:ખને ઓગાળી દે છે તે


રુ ગત ઔ = ગતિ મય જ્ઞાન આપનાર


રુદ્ર = રડનાર, ચીસો પાદનાર, ગર્જના કરનાર (બાળક)


હવે આપણે આપણું મૂળ તથ્ય વાતનું પકડીએ તો...


ઋ નાનો ऋ મોટો


પહેલા ઋ નાનો


ભણવા માં આવતા મૂળાક્ષર ને સમજતા 43 યર્સ થયા...


ગાયત્રી ચાલીસા ની કડી યાદ છે...


ઋષિ મુનિ યતી તપસ્વી જોગી


આરત અર્થી ચિંતિત ભોગી...


અહીં જે મંત્ર દૃષ્ટા થયા પહેલાની પળ માં વ્યક્તિ વિશેષ ની ઓળખ માટે નાના ઋ ને ભણવા માટે ના ચાર તબક્કા  છે અને તે આ મુજબ છે.... મુનિ, યતી, તપસ્વી, જોગી નાના "ઋ" થી સંબોધી શકાય...


મંત્ર દ્રષ્ટા થયા બાદ આવતો શબ્દ સંકલ્પ સૂત્ર માટે નાના ને મદદ કરવા ઊભા રહેતા મોટા ऋ ની કલ્પના સાતત્ય સભર છે....


ગૂગલ ની કી બોર્ડ ની અલ્પતા કારણે હિન્દી મોટો ऋ લખેલ છે.


યજ્ઞ ના યૂપ ની કલ્પના, પૃથ્વી તત્વ ના ચોક્કસ ક્ષેત્ર માં શૂન્ય નું પ્રમાણ યજ્ઞ યજણ યતિ, તપસ્વી, જોગી, મુનિ ને નાના ઋ ની પદવી આપે છે. ત્યાર બાદ દેવ નાગરી લીપી થી ઉપર અક્ષર ઊર્જા ચડાવા મતલબ પરમ ધિષ્ણ ઈન મેળવવા મોટો ऋ મદદ કરે છે. એનું પણ ક્ષેત્ર વેદોક્ત કથન માં છે...


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જય ગુરુદેવ દત્તાત્રેય

જય હિન્દ.  

જીગર મહેતા / જૈગીષ્ય