आप हो या आप: ओ
से
आप थे या आ पथे
हो से थे के बीच की दूरी तय कर
सत्याग्रह छावनी से शीलज
वाया लंदन अंकुर
मेमनगर बस गया।
क्वार्टर से मणिनगर नही
कश्मीर से बंगलुरु तक
महुआ से पंचमढ़ी तक
मैं ही मैं हूं कि प्रतीति कराई है पत्नी को।
पर कई बार अपने बालक की प्रतीति से दूर था।
बालक किसे कहते है ?
जवाब था,
सच्चाई के स्पंदन जहा मिले।
दुग्ध से दूध और मिल्क से मिल तक
खलु से ही सत्य सभर वेद उपनिषद पुराण।
के, ख, ग से शुरू मात्राएँ
विदेशी भाषा जानी तो
सर्वजन हिताय, सर्वजन सुखाय
किया है तभी
सर्वग्न होनेसे ड्रेगन जाना।
सबके साथ चलने पर
हो से थे कि कहानी अवगत हुई।
अंततोगत्वा, हो से थे तक चश्मा जुड़ गए।
फ़िरभी हो से थे के बाद चश्मा शरीर के साथ नही रहे।
Jigar Mehta / Jaigishya
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